अमानत के सरोद और नुपूर के स्वरों ने जीता दिल

  • शास़्त्रीय संगीत में चला सुर और वाद्य यंत्रों का जादू
  • पंडित राजन मिश्र की जयंती पर स्वारांगन की अनूठी पहल

देहरादून। बनारस घराने की गायिका नुपूर सिंह के सुरों की रसधार और उस्ताद अमानत अली के सरोद का जादू दून के संगीत प्रेमियों के दिलो-दिमाग पर छा गया।

मौका था  बनारस घराने के प्रख्यात शास्त्रीय गायक पदमभूषण स्व. राजन मिश्र के 71वीं जयंती पर दो दिवसीय शास़्त्रीय संगीत समारोह के पहले दिन का।

इन दो फनकारों का जादू खूब देर तक रहा और सभागार करतल ध्वनियों से गूंजता रहा।

वन अनुसंधान संस्थान के हरिसिंह सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। आईएनजीपीए के डीजी भरत ज्योति और पूर्व पीसीसी जयराज ने दीप प्रज्ज्वलित किया।

उनके साथ स्वरांगन के अध्यक्ष पं. रजनीश मिश्र और रितेश मिश्र भी थे। इसके बाद प्रख्यात फिल्म निर्माता मकरंद ब्रह्मे द्वारा निर्मित पंडित राजन मिश्र के जीवन पर आधारित डाक्युमेंट्री के कुछ हिस्से प्रदर्शित किये गये। यह डाक्युमेंट्री अब यू-टयूब पर उपलब्ध है।

इसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत पंडित राजन मिश्र की शिष्या नुपूर सिंह ने मारू विहाग राग में बंदिश और बड़ा ख्याल गाया। उनकी इस प्रस्तुति पर श्रोता झूम उठे। उनके साथ तबले पर संगत बनारस घराने के युवा तबला वादक चित्रांक पंत और हारमोनियम पर सुमित मिश्र ने की।

इसके बाद उन्होंने पंडित राजन मिश्र द्वारा फिर सुरसंगम में गाये भजन ‘जाऊ तेरे चरण कमल पर वारि‘ गाया। इस भजन पर बार-बार श्रोताओं की करतल ध्वनि से सभागार गुंजायमान हो गया।

कार्यक्रम में युवा उस्ताद अमानत अली बंगश ने सरोद वादन से पंडित राजन मिश्र को याद किया। इसके बाद उन्होंने द्रुत बंदिश प्रस्तुत की। उनके साथ तबले पर शुभ महाराज और अभिषेक मिश्र ने संगत की। इसके बाद पंडित रितेश मिश्र और पंडित रजनीश मिश्र ने गायकी कानडा में बनड़ा मोरा व्याहन आओ, विलंबित एकताल में प्रस्तुत दी गयी। तबले पर पंडित अरविंद आजाद द्वारा प्रस्तुति दी गयी।
स्वरांगन के वरिष्ठ सदस्य सुरेश चंद पंत ने बताया कि कल यानी शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मोेहन वीणा वादक ग्रेमी अवार्ड विनर पदमभूषण पंडित विश्वमोहन भट्ट प्रस्तुति देंगे।

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