सुशील उपाध्याय
सामान्य तौर पर किसी शब्द की सार्थकता और निरर्थकता उसके प्रयोग की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। परिस्थितियां बदलने पर शब्द के अर्थ भी बदल जाते हैं। इन दिनों मुंबई की विशेष अदालत के फैसले के चलते आइटम शब्द चर्चा में है।
अदालत ने इस शब्द को गैरकानूनी करार दिया है। कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले एक युवा व्यवसायी को डेढ़ साल की जेल की सजा सुनाते हुए कहा कि किसी लड़की को ‘आइटम‘ कहना अपमानजनक है और यह आईपीसी कह धारा 354 तहत दंडनीय अपराध है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘आइटम एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल लड़के आमतौर पर लड़कियों को अपमानजनक तरीके से संबोधित करने के लिए करते हैं। यह उन्हें यौन तरीके से ऑब्जेक्टिफाई करता है, यह स्पष्ट रूप से उनकी शीलभंग करने के उनके इरादे को इंगित करता है।’
इस शब्द की उक्त व्याख्या बेहद महत्वपूर्ण है और आइटम शब्द के भाषिक और यादृच्छिक अर्थाें से बहुत आगे जाती है।
कोर्ट ने इसे इतनी गंभीरता से लिया कि दोषी को अच्छे व्यवहार के संबंध में बांड भरने की शर्त पर रिहा करने से इनकार कर दिया और कहा कि महिलाओं को ऐसे अवांछित व्यवहार से बचाने के लिए सड़कछाप रोमियो को सबक सिखाना जरूरी है।
यदि शब्दकोश की दृष्टि से देखें तो आइटम का अर्थ है- मद (संख्या), विषय (क्रम), इकाई, वस्तु (सामग्री), समाचार, अंग (किसी बड़ी वस्तु का कोई एक हिस्सा), बात (विषय) आदि। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में इस शब्द के और भी कई अर्थ बताए गए हैं, जैसे खरीदने योग्य वस्तु। ऐसा विषय जिसके बारे में बात की जा सके। कोई उत्पाद अथवा संग्रह करने योग्य वस्तु। किसी समाचार माध्यम में प्रस्तुत की गई कोई सूचना।
यूरोपीय भाषाओं, विशेष तौर पर अंग्रेजी में इस शब्द को वेश्यावृत्ति से जुड़े हल्के शब्द के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। वहां सेक्स के लिए उपलब्ध महिला को भी आइटम कहा जाता है। आइटम गर्ल भी इसी के साथ जुड़ा हुआ है.
इस दृष्टि से कोर्ट ने बहुत ही सही फैसला दिया है और इस शब्द की गंभीरता को नए सिरे से परिभाषित भी किया है। कोर्ट के निर्णय में रोमियो शब्द का भी उल्लेख हुआ है। रोमियो एक संज्ञा है। यह शेक्सपियर के एक नाटक के हीरो का नाम भी है।
वैसे रोमियो ऐसे पुरुष को कहा जाता है जिसके एक से ज्यादा महिलाओं के साथ यौन-संबंध हों या जो ऐसे संबंध बनाने की कोशिश करता हो। न केवल हिंदी, बल्कि ज्यादातर भारतीय भाषाओं में रोमियो को लुच्चे-लफंगे के पयार्य के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। कई राज्यों में लड़कियों-महिलाओं को परेशान करने वाले लड़कों से निपटन के लिए पुलिस द्वारा ‘रोमियो स्क्वायड’ भी गठित की गई हैं।
इस विमर्श के क्रम में अब ‘जीरो कोविड पाॅलिसी’ को भी देख लेते हैं। यह शब्द तीन साल से चर्चा में हैं और भी लगातार सुनाई दे रहा है। दुनिया भर में कोरोना का प्रभाव घटने और महामारी पर नियंत्रण के बावजूद यह शब्द मंडारिन भाषा में लगातार प्रयोग में बना हुआ है। इस पर बीबीसी ने मार्च से आंकड़े इकट्ठा करना शुरू किए थे, जब चीन में कोविड से निपटने के लिए चौथे चरण के उपाय लागू किए गए थे।
इस अवधि में कोविड लॉकडाउन के लिए इतने प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया गया कि उनके आधार पर यह तय करना मुश्किल है कि चीन में कोरोना की वस्तुस्थिति क्या है! वहां आधिकारिक भाषा के साथ शब्दों और उनकी परिभाषाएं भी बदलती रही हैं। बीबीसी की यह रिपोर्ट बताती है कि चीनी नौकरशाहों ने लॉकडाउन को परिभाषित करने के नए तरीके खोज लिए हैं। वे नए-नए शब्दों से वास्तविक अर्थ को हल्का करने कोशिश कर रहे हैं।
बीबीसी ने ऐसे शब्दों की सूची भी दी है जो चीन में लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं, जबकि चीन के बाहर कोरोना के मामले में शायद ही कोई इन्हें जानता हो या प्रयोग में लाता हो। इनमें से ज्यादातर शब्द पारिभाषिक प्रकृति के हैं, लेकिन इन शब्दों की पीठ पर एक बड़े दायित्व के निर्वहन का जिम्मा है। ऐसे ही कुछ शब्दों को देखिए-स्टैसिस मैनेजमेंट (असक्रियता प्रबंधन), एट-होम स्टिलनेस (घर में ठहराव/रुकना), स्टिलनेस थ्रू आउट द होल रीजन (पूर इलाके में ठहराव/रुकना ), स्टॉप ऑल अननैसेसरी मूवमेंट (गैरजरूरी आवाजाही पर रोक) आदि। इसके अलावा नौकरशाह ‘अस्थाई सामाजिक नियंत्रण’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं जिसे लॉकडाउन ना कहकर आवाजाही कम करना कहा जा रहा है।
उनके दावे के अनुसार ये आम जनजीवन और उत्पादन को प्रभावित नहीं करता।
‘एनक्लोज्ड मैनेजमेंट’ एक नया शब्द है जो दक्षिणी प्रांत गुआंगडोंग में इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब है, कोई गांव, कसबा या आवासीय इलाका एक निर्धारित घेरे में हैं। इनमें लोगों के प्रवेश और निकासी में चेक पॉइंट हैं। लोगों और गाड़ियों को पास के जरिए ही अंदर आने और बाहर जाने की इजाजत मिलती है। जो लोग उस इलाके में काम नहीं रहते, उन्हें अंदर जाने की इजाजत नहीं है।
खास बात यह है कि वहां रहने वाले लोगों को बताया गया कि ये लॉकडाउन नहीं है। यानी लॉकडाउन की स्थितियां ज्यों की त्यों हैं, लेकिन इसके लिए शब्द बदल दिया गया है। जब कुछ जगहों पर ट्रैक और ट्रेस करने के तरीकों से नाराजगी होने लगी तो अधिकारी एक विकल्प लेकर आए-‘टेम्पोरल एंड स्पेशल ओवरलैपर’। इस शब्द का संदर्भ किसी ऐसे व्यक्ति से है जिसकी लोकेशन ऐसे स्थान पर मिल रहा है, जहां कोई कोविड-पॉजिटिव व्यक्ति है।
लोगों को एक और प्रकार से ट्रैक किया जा रहा है। हेनान प्रांत में डेनचेंग काउंटी में गवर्नर ने चेतावनी दी है कि ‘जो गलत इरादों से गृहनगरों या गांवों में आएंगे, उन्हें पहले क्वारंटाइन और फिर हिरासत में रखा जाएगा।
चीन ने बार-बार कहा गया है कि ‘डायनामिक जीरो‘ का मतलब ये नहीं है कि हर जगह एक जैसे ही नियम लागू किए जाएंगे। यानी जहां जैसी स्थितियां होंगी, उसके अनुरूप निर्णय लिए जाएंगे और शब्दों का चयन भी मौके की परिस्थितियों के हिसाब से ही होगा।
भाषा के लिहाज से ध्यान देने वाली स्थिति यह है कि मार्च-अप्रैल के बाद से बीजिंग में कई बार लाॅकडाडन लगाया जा चुका है, लेकिन किसी आधिकारिक आदेश में एक बार भी लॉकडाउन शब्द का प्रयोग नहीं किया गया। अब वर्ष 2022 के आखिर में भी चीन में सौ से ज्यादा शहरों में लॉकडाउन या सेमी-लॉकडाउन लगा हुआ है, लेकिन चीन सरकार इसे केवल ‘जीरो कोविड’ पॉलिसी को लागू किया जाना बता रही है।
खैर, दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में अब कोरोना कालीन शब्दावली के प्रयोग की संख्या घट रही है, लेकिन इस मामले में चीन अपवाद है इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी दिनों में कोरोना को लेकर कुछ और नए तकनीकी एवं पारिभाषिक शब्द सामने आएंगे।