ऋषिकेश । उत्तराखंड के देहरादून जनपद अंतर्गत ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में मधाम से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर, परमार्थ निकेतन के परम अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों और गौवंश की पूजा की जाती है। गौ माता उसी प्रकार पवित्र है, जैसे नदियों में माँ गंगा।
शास्त्रों में गौ माता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। उन्होंने कहा कि देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं और गौवंश खेतों में अनाज उगाता है। इसलिये कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है।
स्वामी चिदानन्द ने ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को बधाई देते हुये कहा कि भारतीय संस्कृति का असर पूरी दुनिया पर दिखने लगा है। दुनिया के सात देशों की कमान भारतवंशियों के पास है यह एक ऐतिहासिक अवसर है।
उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के नेता अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया समेत कई अफ्रीकी और एशियाई मुल्कों में उच्चपदों पर प्रतिष्ठित हैं। विभिन्न देशों के उच्चपदों पर रहने वाले अनेकों नेताओं की जड़े और मूल भारत से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है; सर्वे भवन्तु सुखिन: की संस्कृति है।
भारतीय संस्कृति पूरे विश्व को एक परिवार मानती है और उसका असर पूरे विश्व में दिखायी दे रहा है। स्वामी ने गोवर्धन पूजा का महत्व बताते हुये कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में छ: दिनों तक सुखपूर्वक रहे।
सातवें दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और तब से प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट महोत्त्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। उन्होंने इसके साथ ही, विश्व शान्ति और समृद्धि की प्रार्थना की।