रांची।अभी हाल ही में दुबई के एक आयोजन में चीन ने अपनी उड़ने वाली कार का प्रदर्शन किया था। इसके बाद पहली बार अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित ड्रापर विश्वविद्यालय ने अपनी उड़ने वाली कार की योजना का खुलासा किया है। अब प्रमुख सड़कों पर भी लगातार लगने वाली वाहनों की भीड़ के बीच आसमान से ऐसे कारों के सफर पर लोग अधिक सोच रहे हैं।
दूसरी तरफ ऐसे प्रयासों से इंसानों का वह सपना भी जो वे पिछले एक सौ वर्षों से देखते आ रहे हैं। इससे पहले सिर्फ विज्ञान आधारित रोमांचक फिल्मों में ही ऐसी कारों को सिनेमा के पर्दे पर देखा जा सका है। अमेरिका में जिस उड़ने वाली कार के बारे में जानकारी मिली है, वह अभी विकास के दौर में हैं और यह भी एक इलेक्ट्रिक वाहन ही है। सिर्फ इसकी डिजाइन थोड़ी दूसरी तरफ तथा दावा किया गया है कि यह आसमान में एक बाईप्लेन की शक्ल ले सकता है।
वैसे इससे पहले ही एयर कार और पाल वी गाइरोकॉप्टर बाजार में आ चुके हैं और वे नियमित तौर पर इस्तेमाल भी हो रहे हैं। इस नई कार की खूबी यह है कि यह भी चीन की कार की तरह जमीन से सीधी ऊंचाई पर जाएगा और एक बार मे 110 किलोमीटर तक का सफर तय कर लेगी। इस एल्फ बिल्स नामक प्रस्तावित कार के निर्माण से जुड़े जिम डुखोवनी का दावा है कि अभी बाजार में इस किस्म की जो कारें इस्तेमाल हो रही हैं, वे दरअस पूरी तरह काम नहीं है।
उनके मुताबिक कार होने का अर्थ यह है कि उसे आम सड़कों पर भी आसानी से चलाया जा सके और जरूरत पड़ने पर वह हवा में उड़ सके। किसी कार को आसमान पर ले जाने के लिए अगर छोटी सी भी हवाई पट्टी की आवश्यकता पड़ती है तो वह कार नहीं है। उनका तर्क है कि अगर कार को हवाई पट्टी पर ही ले जाना पड़ा तो समस्या खत्म कैसे हुई। कार जहां खड़ी है, वहीं से आसमान में उड़ने की क्षमता होनी चाहिए।
इस नई कार में आठ प्रॉपलेर जोड़े जाएंगे जो कार को ऊपर उठाने में मदद करेंगे। अपने पंखों के सहारे ही यह कार हवा में आगे का सफर तय करेगी। लंबी दूरी तय करने के लिए इसकी भूमिका एक बाईप्लेन की हो जाएगी। इस कार की डिजाइन के मुताबिक इसमें दो लोगों के बैठने का स्थान किया गया है।
आसमान पर उड़ने की स्थिति में यह कार एक तरफ मुड़ जाएगी और नीचे तथा ऊपर लगे पंख दोनों तरफ आ जाएंगे। इसी कारण इसके कॉकपिट को भी कार से बगल से नब्बे डिग्री में घूमने की स्थिति में भी सामने रखने की सुविधा जोड़ी गयी है। यानी कार के तिरछा होने के बाद उसमें बैठे लोगों की स्थिति भी बदल जाएगी और वे हमेशा सीधी अवस्था में ही बैठे रह सकेंगे। उन्हें किसी किस्म की परेशानी नहीं होगी।
इसे उड़ाने वाला भी सामने देखकर उसे संचालित करेगा। इस बारे में वेस्ट इंग्लैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफसर स्टीव राइट का कहना है कि इतनी सारी सुविधाओँ को एक साथ देने के लिए अधिक शक्तिशाली बैटरियों की जरूरत पड़ेगी। इस चुनौती से कैसे निपटा जाएगा, यह देखने वाली बात होगी। साथ ही इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि अब सड़कों पर जिस तरीके के ट्राफिक नियम बने हैं, उसी तर्ज पर आसमान पर उड़ने वाली कारों के लिए भी नये यातायात नियम बनाने पड़ेंगे ताकि उनकी आपस मे टक्कर ना हो जाए।