हैदराबाद। स्थानीय पुलिस ने मोबाइल एप के जरिए होने वाली धोखाधड़ी और हवाला कारोबार का पता लगाया है। प्रारंभिक जांच में इस स्कैन की रकम 903 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। अपने कारोबार को कानूनी जामा पहनाकर यह रकम देश से बाहर भेज दी गयी है। यह धन भारत से निकलकर चीन, ताइवान, कंबोडिया और संयुक्त अरब अमीरात तक गया है।
इस सिलसिले में पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें चीन और ताइवान के एक एक नागरिक भी शामिल हैं। इस बारे में हैदराबाद के पुलिस आयुक्त सीवी आनंद ने मीडिया से बातचीत मे कहा कि बैंक और नीति निर्धारक संस्थानों की लापरवाही से ऐसा हो पाया है।
पैसा का लेनदेन उन कंपनियों के जरिए हुआ है जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त है। लेकिन इन संस्थानों ने गाइड लाइनों का उल्लंघन किया है। इसका पता चलने के बाद अब पुलिस इस मामले को ईडी को देने जा रही है क्योंकि यह मूल रुप से ईडी का जांच का विषय है।
बताते चलें कि इससे पहले भी कई बार इस किस्म के गोरखधंधे पकड़े गये थे लेकिन कार्रवाई होने के पहले ही इनसे जुड़े कंपनियों के चीनी निदेशक चुपचाप देश छोड़कर चले गये थे। इस बार पुलिस की त्वरित और गुप्त कार्रवाई से विदेशी लोगों को देश से बाहर जाने का मौका नहीं मिल पाया है।
पुलिस को संदेह है कि देश में लाखों ऐसे निवेशक हो सकते हैं, जो इस धोखाधड़ की चपेट में आये हैं। पुलिस के मुताबिक चीनी नागरिक ली झोंगजुन और ताइवान के चू चून इयू वर्ष 2019-20 में भारत आये थे। दोनों ने अपने कारोबार के लिए भारतीय एजेंटों की भर्ती की थी।
लेकिन काम आगे बढ़ने के पहले ही कोरोना की वजह से दोनों वापस लौट गये थे। कोरोना संकट समाप्त होने के बाद दोनों ने फिर से कारोबार प्रारंभ किया और वे नियमित तौर पर विदेशों में बैठे अपने आकाओं को सारी जानकारी भेज रहे थे।
हैदराबाद के एक व्यक्ति द्वारा 1.6 लाख की धोखधड़ी का मामला दर्ज कराये जाने के बाद पुलिस का ध्यान इस तरफ गया था। वे लोग लोक्साम नामक मोबाइल एप का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके जरिए जिनदेई टेक्नोलॉजिस के इंडसइंड बैंक खाता में पैसा गया था।
इस खाता को पुणे का वीरेंद्र सिंह संचालित किया करता था और गिरफ्तारी के बाद वीरेंद्र सिंह ने बताया है कि वह जैक नामक चीनी व्यक्ति के निर्देश पर यह काम करता था, जिसके एवज में उसे 1.2 लाख रुपये कमिशन मिलते थे। जांच की गाड़ी आगे बढ़ने पर बेनटेंच नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाता का पता चला, जो इससे जुड़ा हुआ था। इस खाता को दिल्ली के संजय कुमार ने खोला था।
उसने कुल पंद्रह खाते अपने चीनी मालिक के कहने पर खोले थे और उसे भी 1.2 लाख रुपये कमिशन मिलता था। 38 बैंक खातों से घूमता हुआ यह पैसा अंतत: रंजन मनी कॉर्प और केडीएस फोरेक्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए विदेशी मुद्रा में बदला जाता था। इन दोनों कंपनियों का मालिक नवीन कौशिक था। रुपये से डॉलर बनाने के बाद वह इसे साहिल और सन्न नामक दो लोगों को देता था।
यह दोनों लोग इसे विदेश भेजते थे। नवीन की कंपनियों ने हाल के सात महीनों में कुल 441 करोड़ रुपये और 462 करोड़ रुपये मूल्य के डॉलर बनाये हैं। इन कंपनियों को विदेशी मुद्रा बदलने के लिए दो प्रतिशत कमिशन मिलता था। अब देश भर से ऐसे कितनी रकम विदेश भेजी गयी है, इसकी जांच ईडी की जिम्मेदारी है।