नैनीताल। उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) भर्ती घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) जांच की मांग को लेकर कांग्रेस नेता एवं विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता भुवन चंद्र कापड़ी की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली ।न्यायालय इस मामले में कभी भी आदेश पारित कर सकता है।
कापड़ी की ओर से दायर याचिका पर वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि विशेष कार्य बल (एसटीएफ) इस मामले की उचित जांच नहीं कर रही है। संशोधित प्रार्थना पत्र न्यायालय में पेश करने के बाद जांच एजेंसी की ओर से आयोग के पूर्व अध्यक्ष तथा अन्य लोगों की गिरफ्तारी की गयी।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि भर्तियों में 2020 में भी गड़बड़ी के मामले सामने आये हैं और मंगलौर तथा पौड़ी में दो मुकदमे दर्ज पंजीकृत हुए थे, लेकिन दोषियों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। विपक्ष की ओर से विधानसभा में भी सीबीआई जांच की मांग की गयी।
दूसरी ओर सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर तथा सरकारी अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह संधु अदालत में पेश हुए और उन्होंने इसका जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि एसटीएफ की ओर से 80 प्रतिशत जांच पूरी कर ली गयी है।
उन्होंने बताया कि 41 से अधिक आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार किया जा चुका है और इनमें से 28 से 30 के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका है। उन्होंने आगे कहा कि याचिका पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। साथ ही याचिकाकर्ता का कोई अधिकार नहीं है कि वह जांच एजेंसी तय करे।
इस मामले में उन्होंने उच्चतम न्यायालय के कई निर्णयों का भी हवाला दिया और कहा कि शीर्ष अदालत अपने आदेश में कह चुकी है कि दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में ही सीबीआई जांच की मांग की अनुमति दी जा सकती है। आखिर में न्यायालय ने भी याचिकाकर्ता की ओर से दिये गये तर्कों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि वह तय नहीं कर सकता कि किसे गिरफ्तार किया जाये।