कोलकाता। बंगाल की खाड़ी में फिर से तूफानी माहौल बन रहा है। मौसम वैज्ञानिकों ने पहले ही इस बात की चेतावनी दी है कि अब तक जो हालात नजर आ रहे हैं, उससे यह तूफान सुपर साइक्लोन भी बन सकता है। बता दें कि सुपर साइक्लोन आम तौर पर भारतीय समुद्री तटों पर बहुत कम आता है।
लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार आ रहे तूफान की वजह से समुद्री तटों पर भीषण तबाही हो सकती है क्योंकि हवा की गति अत्यधिक तेज होने की वजह से समुद्री तटों पर बीस फीट ऊंची लहरों का प्रकोप हो सकता है।
चक्रवाती तूफान के दौरान इतनी ऊंची लहरों से समुद्री तट के करीबी इलाकों में तबाही आ सकती है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह असर कालीपूजा के मौके पर ही देखने को मिल सकता है क्योंकि अभी इस तूफान के बनने की प्रक्रिया प्रारंभ ही हुई है। बाद में यह धीरे धीरे और मजबूत होकर चक्रवाती तूफान की शक्ल में भारत की तरफ बढ़ने लगेगा।
बारिश का मौसम खत्म होने के बाद भी इस किस्म के घटनाक्रमों को वैज्ञानिक मौसम के बदलाव का स्पष्ट संकेत मानते हैं। देश के कई हिस्सों में मॉनसून के दौरान कम बारिश होने के बाद अब भी बारिश से बाढ़ जैसी परिस्थितियां बनी हैं। इस संभावित चक्रवाती तूफान का नाम सित्रांग रखा गया है।
अनुमान है कि यह तट पर आने पर उसकी गति डेढ़ सौ से दो सौ किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। समझा जा सकता है कि इतनी तेज गति के तूफान से क्या कुछ नुकसान हो सकता है। बंगाल की खाड़ी में अभी दो स्थानों पर हवा का दबाव कम होने का पता चला है।
इन्हीं में से एक सुपर साइक्लोन बन सकता है। अंडमान सागर के पास यह तूफान बना तो वह काम 18 या 19 अक्टूबर को स्पष्ट हो जाएगा। इसके बाद ही पता चलेगा कि इस तूफान के आगे बढ़ने का रास्ता कौन सा है। वैसे वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि यह अभी के आंकड़ों और सैटेलाइट चित्रों के आधार पर किया गया अनुमान है। जैसे जैसे दिन बीतेंगे, इसकी तस्वीर और साफ होने लगेगा।