नईदिल्ली। यूक्रेन की सेना ने हाल के दिनों में रूसी सेना को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है। पहले इसके लिए अमेरिका से प्राप्त हिमार्स मल्टी रॉकेट लांचर की भूमिका को महत्वपूर्ण माना गया था। अब बात सामने आयी है कि यूक्रेन की सेना के प्रशिक्षित लोग अब स्नाइपर एलिगेटर राइफल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस राइफल से निकली गोली कुछ ऐसी है कि वह टैंक तक को भेद सकती है।
शायद इसी वजह से हाल के दिनों में रूसी सेना को कई मोर्चों पर बहुत अधिक नुकसान उठाकर पीछे हटना पड़ा है। मिली जानकारी के मुताबिक इस राइफल से दागी गयी गोली सात किलोमीटर तक का रेंज रखती है। इसे दुनिया का सबसे ताकतवर राइफल माना गया है जबकि इसकी गोलियां भी खास होती हैं।
यूक्रेन के प्रशिक्षित स्नाईपर इनका बेहतर इस्तेमाल कर रूसी सेना को नुकसान पहुंचाने में सफल रहे हैं। उपलब्ध सूचनाओं के मुताबिक इस राइफल की गोली एक सेंटीमीटर मोटे धातु के कवच को भेद सकती है। इसी वजह से रूसी टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को इतना अधिक नुकसान हुआ है।
मिली जानकारी के मुताबिक यूक्रेन के खास निशानेबाज सैनिक इन राइफलों पर साईलेंसर लगाकर गोलियां दाग रहे हैं। इससे रूसी सेना को पता भी नहीं चल पा रहा है कि हमला कहां से हो रही है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक वर्ष 2020 में इसका उत्पादन प्रारंभ किया गया था।
इसे यूक्रेन, जर्मनी और नीदरलैंड ने मिलकर बनाया है। इसका निर्माण नीदरलैंड की कंपनी एक्साडो होल्डिंग लिमिटेड करती है। 25 किलो वजन वाले इस राइफल की लंबाई औसत आदमी से अधिक होती है। यह कुल साढ़े छह फीट से भी थोड़ी अधिक लंबी है। इसकी सटीक मारक क्षमता दो किलोमीटर तक है लेकिन इसकी गोली सात किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है।
इससे निकलने वाली गोली हर सेकेंड में एक किलोमीटर की दूरी तय करती है। यानी इधर गोली चली और दो सेकेंड में दो किलोमीटर दूर बैठा टारगेट ध्वस्त। इस राइफल की मैगजीन में पांच गोलियां होती हैं तथा यह मैगजीन बदला जा सकता है।
यानी गोलियां खत्म होने के बाद मैगजीन में दोबारा गोलियां भरी जा सकती है। मिली जानकारी के मुताबिक यूक्रेन के सैनिकों ने इस राइफल को रूसी सेना के हेलीकॉप्टरों पर भी सफलता पूर्वक आजमाया है। यह भी खबर है कि यह राइफल यूक्रेन में सिर्फ पुरुष सैनिकों के पास ही नहीं हैं बल्कि कई महिला सैनिक भी इनका इस्तेमाल कर रूसी सेना को नुकसान पहुंचा रही हैं।