कोलकाता। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूर्जा उत्सव के दौरान राजनीतिक दल अपनी-अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं। पूजा पंडालों का उद्घाटन करने में राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी सब पर भारी पड़ी हैं। पूरे राज्य में ज्यादातर पूजा समितियों में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और कार्यकतार्ओं की भूमिका ज्यादा दिखाई दे रही है।
ममता बनर्जी ने 1500 से ज्यादा पूजा समितियों के पंडालों का उद्घाटन किया है। कोलकाता में लगभग 200 पूजा पंडालों में ममता ने खुद जाकर उद्घाटन किया। ममता बनर्जी के बाद बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को पूजा पंडालों में उद्घाटन के लिए बुलाया गया।
पूजा पंडालों में सभी दलों की तरफ से अपना-अपना साहित्य बेचने के लिए स्टॉल लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अगस्त महीने में केंद्र पर धनराशि न देने का आरोप लगाते हुए 43 हजार पूजा समितियों को 60-60 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। पिछले वर्ष यह राशि 50 हजार रुपये थी।
ममता सरकार ने इस वर्ष 10 हजार रुपये आर्थिक सहायता बढ़ाने का साथ ही पूजा समितियों के बिजली बिल में 60 प्रतिशत की छूट भी दी है। पश्चिम बंगाल में 30 सितंबर से 10 अक्टूबर सरकारी अवकाश की घोषणा भी की गई है। 2020 से दुर्गा पूजा उत्सव के आयोजन की शुरूआत करने वाली भाजपा ने अगले वर्ष से आर्थिक संकट के कारण उत्सव को पार्टी स्तर पर न मनाने का फैसला किया है।
दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान राजनीतिक दलों की सार्वजनिक तौर पर गतिविधियां तो बंद है पर इस अवसर पर भी एक-दूसरे पर राजनीतिक हमले बंद नहीं हुए हैं। अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, वामदल और कांग्रेस अपने-अपने तरीके से उत्सव के दौरान प्रचार में जुटे हुए हैं। ममता बनर्जी के निर्देश के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता,सांसद और विधायक बड़े पैमाने पर पूजा पंडालों में जा रहे हैं।
ममता बनर्जी ने ग्रामीण मतदाताओं पर ज्यादा ध्यान देने को कहा है। इसी कारण मुख्यमंत्री ने जिलों की पूजा समितियों का वर्चुअल उद्घाटन किया। दुर्गा पूजा उत्सव में इस बार भाजपा के बड़े नेता अभी तक नहीं पहुंचे हैं। पिछले वर्ष गृह मंत्री अमित शाह पूजा समितियों के पंडालों का उद्घाटन करने कोलकाता आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडालों का वर्चुअल उद्घाटन किया था।
उत्सव के दौरान विभिन्न पूजा पंडालों में राजनीतिक विषयों को आधार बनाया गया है। कोलकाता के काकुड़गाछी इलाके में विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा मारे गए भाजपा कार्यकर्ता की याद में पूजा पंडाल बनाया गया है। पंडाल के माध्यम से राजनीतिक हिंसा की शिकार महिलाओं पर अत्याचार को दशार्या गया है। साल्टलेक में पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के पूजा पंडाल में भ्रष्टाचार, शिक्षकों की नियुक्ति में घोटाला आदि को दशार्या गया है।