लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा की अध्यक्ष मायावती ने इस्लामिक संगठन पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) को प्रतिबंधित किये जाने के केन्द्र सरकार के फैसले को राजनीतिक स्वार्थ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुष्टीकरण नीति का परिणाम बताया है।
मायावती ने शुक्रवार को कहा कि सरकार के इस फैसले से लोगों में संतोष के बजाय बेचैनी देखने को मिल रही है। केन्द्र द्वारा पीपुल्स फ्रण्ट आफ इण्डिया (पीएफआई) पर देश भर में कई प्रकार से टारगेट करके अन्तत: अब विधानसभा चुनावों से पहले उसे उसके आठ सहयोगी संगठनों के साथ प्रतिबन्ध लगा दिया है, उसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मानकर यहाँ लोगों में संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की विरोधी दलों की मांग का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यही कारण है कि विपक्षी पार्टियाँ सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी बैन लगाने की माँग खुलेआम हो रही है।
पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसी अन्य संगठनों पर भी बैन क्यों नहीं लगना चाहिए? गौरतलब है कि हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने देश में कट्टरपंथी इस्लामिक विचारों को फैलाने के आरोप में पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया है। इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में पीएफआई के ठिकानों पर लगातार छापेमारी हो रही है।