नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आरक्षित वन क्षेत्र में निजी लोगों को खनन की अनुमति देने के मामले में प्रदेश सरकार के कदम पर रोक लगाते हुए मुख्य सचिव को जवाबी हलफनामा पेश करने को कहा है।
मामले को बाजपुर निवासी रमेश कांबोज की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती देते हुए कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने 2014 में एक आदेश जारी कर आरक्षित वन क्षेत्र में निजी खनन पर रोक लगा दी थी।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में हुई। प्रदेश सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के आदेश को 2015 में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी, लेकिन सरकार वहां भी लड़ाई हार गयी।
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शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद आरक्षित वन क्षेत्र में निजी लोगों को खनन की अनुमति देने जा रही है।
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याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि प्रदेश सरकार को इसका अधिकार नहीं है। केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना आरिक्षत वन क्षेत्र में किसी भी गतिविधि को शुरू नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एसआरएस गिल ने बताया कि पीठ ने सरकार के कदम पर रोक लगाते हुए सरकार को पूर्व के आदेश का अनुपालन करने के साथ ही मुख्य सचिव को इस मामले में प्रतिशपथ पत्र पेश कर जवाब देने को कहा है।