बागेश्वर । जनपद में इस बार पिछले दो माह में नदी में कूदकर छह लोगों ने आत्महत्या कर ली है जबकि एक महिला ने अन्य महिला को बचाने के चक्कर में जान दी थी।
बुधवार की सुबह कोतवाली अंतर्गत बिलौना में एक किशोरी ने पुल से कूदकर अपनी जान दे दी। जनपद में इस साल की बात की जाय तो इस बार बरसात के बाद नदी के तेज बहाव में कूदकर जान देने वालों की संख्या छह हो गई है।
इससे पूर्व चौरासी के समीप दफौट क्षेत्र की एक युवती जो कि अपनी चाची के साथ बाजार आई थी, अचानक सरयू नदी में कूद गई थी। जिसको बचाने के लिए उसकी चाची ने नदी में कूद लगाई परंतु वह भी तेज प्रवाह में आकर बह गई। जिसमें महिला का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया था।
इसके अलावा एक युवक ने शराब के नशे में धुत होकर सरयू पुल से नदी में कूदकर आत्महत्या की थी। जिसका अब तक शव बरामद नहीं हो सका है।
इसके बाद एक अन्य व्यक्ति ने भी सरयू पुल से ही कूद कर आत्महत्या की थी। इसके अलावा विगत सप्ताह खुनौली निवासी एक वरिष्ठ नागरिक पूर्व सैनिक ने बिलौना पुल से ही कूदकर अपनी जान दी थी। जबकि कपकोट में भी एक युवक ने सरयू नदी में कूदकर जान दी थी। इधर बुधवार की सुबह एक किशोरी ने एक बार फिर सरयू नदी पर बने पुल से कूदकर आत्महत्या कर ली।
आत्महत्या करने वाले व्यक्ति देते हैं पहले संकेत : शर्मा
साइकोलॉजिस्ट व मानसिक स्वास्थ्य के प्रसिद्ध चिकित्सक डा. पवन शर्मा कहते हैं कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति कुछ पहले संकेत देते हैं। यदि जीवन से तंग आ चुके व्यक्ति से बार बार पूछा जाए कि क्या तुम जिंदगी से तंग आ चुके हो तो वह सचेत होता है तथा उनका जीवन जीने के प्रति ललक बढ$ती है व आत्महत्या करने का विचार बदल सकता है।
मई से सितंबर तक आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि होती है। क्योंकि इस वक्त प्रत्येक मानव का ब्रेन केमिकल में बदलाव होता है। इस दौरान प्रत्येक को चाहिए कि वह निराश व अकेलापन महसूस करने वाले व्यक्ति पर नजर रखें। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति दो माह पूर्व से संकेत देने लगता है तथा संसार छोड़ने की बात कहता है।
डा. पवन शर्मा, द साइको, सदस्य राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण देहरादून