डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
देश मे सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसी बीच सवाल यह उठ रहा है कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा?कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में कई नाम चल रहे हैं। इस पर सी वोटर ने त्वरित सर्वे किया है।
इस सर्वे में 4361 लोगों से बात की गई है। सर्वे में सवाल किया गया कि कांग्रेस अध्यक्ष किसे बनना चाहिए? इस सवाल के जवाब में 46 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पसंद किया है।
जबकि13 प्रतिशत लोगों ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुना।वहीं 11 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर के पक्ष में राय दी है।वही 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इन तीनों में से कोई नहीं बनना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए गत 22 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई थी। इस चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
एक से अधिक उम्मीदवार के होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और 19 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर है। ऐसे में इस रेस में पहले अशोक गहलोत, शशि थरूर के नाम के शामिल थे।लेकिन अशोक गहलोत व उनके समर्थकों द्वारा अनुशासनहीनता करने पर वे रेस से बाहर हो गए है,अब पार्टी मलिकार्जुन खड़के या फिर वेणुगोपाल को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है
हालांकि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव न लड़ने का संकेत दे चुके है।कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए इन दिनों राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे है। सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा अगले 150 दिनों में देश के 12 राज्यों और दो केंद्र-शासित प्रदेशों से गुज़र कर 3,570 किलोमीटर का सफर तय कर जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त होगी।
क्या राहुल गांधी इस पूरी यात्रा के दौरान पैदल चलेंगे?29 अगस्त को इस यात्रा के बारे में की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से जब ये पूछा गया कि क्या राहुल गाँधी इस पूरी यात्रा में चलेंगे तो उन्होंने कहा था, बिलकुल. वो पूरे रास्ते चलेंगे।
दिग्विजय सिंह का ये भी कहना था कि राहुल गांधी बीच में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार कर सकते हैं।कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की पूरी कवायद राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले खड़ा करने की है। राहुल गांधी को धीरे धीरे भारत जोड़ो यात्रा में आनंद आने लगा है।अब तक यात्रा में राहुल गांधी का बने रहना इस बात का सबसे बड़ा सबूत है।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि कांग्रेस अध्यक्ष का पद ठुकरा कर राहुल गांधी कोई खास संदेश देना चाहते हैं क्या? और ये खास संदेश किसके लिए हो सकता है?
देश मोदी के विकल्प के रूप में किसी को देखना चाहता है।ऐसा लगता है राहुल गांधी को मोदी के विकल्प के रूप में तैयार किया जा रहा है। अब तक राहुल गांधी सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की खामियां गिनाते थे, लेकिन अब वे ज्वलंत मुद्दों पर सटीक टिप्पणी कर रहे है।
‘सूट बूट की सरकार’ से लेकर ‘चौकीदार चोर है’ तक राहुल गांधी का जोर पहले इसी बात पर रहा कि संघ और बीजेपी के साथ मोदी सरकार भी खामियों से भरी पड़ी है, लेकिन वे लोगों को ये नहीं समझा पा रहे थे कि कांग्रेस भी बीजेपी का विकल्प हो सकती है। यानि राहुल गांधी भी नरेंद्र मोदी के विकल्प हो सकते हैं।
देर से ही सही, लेकिन लगता है अब कांग्रेस को ये बात समझ में आने लगी है कि लोग मौजूदा सरकार की खामियों पर ध्यान नही दे रहे है।
क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता तले लोगों को महंगाई जैसे मुद्दे तक दबकर रह गए है। लोग ये मान कर चल रहे हैं कि चाहे ये मंहगाई जैसी अनेक मुश्किलें क्यों न हों, लेकिन देश सुरक्षित हाथों में है , बहुसंख्यक आबादी को भी लगता है कि मोदी है तो हिंदुत्व सुरक्षित है।
यही सोच कांग्रेस को आगे नही आने दे रही थी।ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के जरिये लोगों को ये संदेश देने की कोशिश हो रही है कि राहुल गांधी, मोदी के प्रतियोगी नहीं बल्कि विकल्प हैं । राहुल गांधी चाहते हैं कि विपक्ष भी उन पर भरोसा करे कि जो व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष का पद ठुकरा सकता है, उसे प्रधानमंत्री बनने की भी जिद नहीं होगी ।
ऐसी जिद कांग्रेस नेताओं की हो सकती है, लेकिन खुद राहुल गांधी शायद ऐसा नहीं करने वाले हैं।राजनीति में अपनी दिलचस्पी को लेकर राहुल गांधी खुद अपनी इच्छा कई बार बता चुके हैं , न तो दलगत राजनीति में, न ही सत्ता की राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी है। अब ये बात अगर विपक्ष भी समझ ले तो आगे की मुश्किलें खत्म नहीं तो कम तो हो ही सकती हैं।