देहरादून। पूर्व आईएएस डीके कोटिया, सुरेन्द्र सिंह रावत व एएस नयाल की एक्सपर्ट कमेटी ने नियुक्तियां रद्द करने की प्रबल संस्तुति की थीं। समिति ने विधानसभा सचिवालय के रिकॉर्ड का परीक्षण करने पर यह पाया कि वर्ष 2016, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गयी इनमें अनियमितताए थीं तथा इन भर्तियों में विभिन्न पदों के लिये निर्धारित नियमों का पालन नहीं हुआ।
समिति ने विभिन्न न्यायालयों द्वारा नियम विरूद्ध भर्तियों के संबंध में समय-समय पर दिये गये आदेशों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि नियमों के विरूद्ध की गयी इन तदर्थ नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए।
समिति ने विशेष रूपसे वर्ष 2016 की 150 तदर्थ नियुक्तियों, वर्ष 2020 में 6 तदर्थ नियुक्तियों तथा वर्ष 2021 में की गयी 72 तदर्थ नियुक्तियों की विशेष पहचान कर उन्हें निरस्त करने की सिफारिश की थी। समिति ने इन भर्तियों को गलत ठहराने के लिए निम्न कारण गिनाये हैं।
1. सेवा के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया। इस प्रकार यह तदर्थ नियुक्तियां चयन समिति के माध्यम से नहीं की गयी है।
2. तदर्थ नियुक्ति किये जाने के लिए कोई विज्ञापन नहीं दिया गया और न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी और न ही रोजगार कार्यालय से नाम मंगाये गये।
3. तदर्थ नियुक्ति किये जाने के इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र नहीं मांगे गये, केवल व्यक्तिगत आवेदन पत्रों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गयी।
4. तदर्थ नियुक्ति किये जाने के लिए कोई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित नहीं की गयी ।
5. इन तदर्थ भर्तियों के लिये सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नहीं करके भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 एवं अनुच्छेद-16 का उल्लंघन हुआ है।
कोटिया समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि कार्मिक विभाग के 6 फरवरी, 203 के शासनादेश द्वारा विभिन्न विभागों के अंतर्गत तदर्थ संविदा नियत वेतन दैनिक वेतन पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाई गयी है। उक्त शासनादेश में व्यवस्था उपबन्धित है कि श्रेणी ग तथा घ के किसी भी पद पर दैनिक वेतन तदर्थ संविदा नियत वेतन पर नियुक्ति नहीं की जायेगी। इस प्रकार की नियुक्तियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा।