नयी दिल्ली। केंद्रीय कोयला मंत्रालय के तहत कोयला नियंत्रक संगठन ने मेघालय के रास्तों से बंगलादेश को अवैध खनन और कोयला निर्यात करने की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
मेघालय उच्च न्यायालय की खंडपीठ में चंपर एम संगमा द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान कोयला नियंत्रक ने मंगलवार को मेघालय उच्च न्यायालय को अवगत कराया।
अदालत ने कहा, ‘‘कोयला नियंत्रक की ओर से प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है कि मेघालय में अवैध रूप से खनन किए गए कोयले को असम के कोयले के रूप में दिखाया गया है और इेस दस्तावेजों में दर्शाकर पड़ोसी देश को ऐसे कोयले का निर्यात किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर को गैसुआपारा निवासी मैकेल टी. संगमा द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करने का भी फैसला किया क्योंकि मामले में उठाए गए मुद्दे चैंपर एम. संगमा द्वारा दायर जनहित याचिका जैसा ही था।
यह उल्लेख किया जा सकता है कि उच्च न्यायालय ने 26 मई को गुवाहाटी स्थित जय मां कोल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गैसुआपारा भूमि कस्टम स्टेशन, साउथ गारो हिल्स के माध्यम से जारी किए गए ई-वे बिल के साथ कोयले के सभी निर्यात को तब तक रोक दिया था जब तक कि मूल दस्तावेज के बारे में विवरण नहीं बताया जाता है। अदालत ने राज्य सरकार से प्रारंभिक रिपोर्ट मांगी थी कि जिस कोयले को गैसुआपारा में डंप किया गया था, वह मेघालय में कैसे आया।
अदालत ने राज्य में कोयला लाने और कोयले उत्पादन के प्रमाण की भी मांग की। श्री संगमा ने राज्य के मुख्य सचिव को विभिन्न अवैध गतिविधियों के संबंध में याचिका दायर की थी, लेकिन मुख्य सचिव ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की, जिससे उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया।
इसके अलावा श्री संगमा ने कहा था कि दक्षिण गारो हिल्स के उपायुक्त ने 29 अप्रैल, 2022 के आदेश द्वारा जय मां कोल प्राइवेट लिमिटेड को एक अनिर्दिष्ट मात्रा में कोयले के परिवहन की अनुमति दी है, जिसे गैसुआपारा में डंप किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को मुकर्रर की गयी है। श्रद्धा, उप्रेती