‘हिन्दी’ जनमानस की भाषा

1953 से भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है हिंदी दिवस

1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में इसे राजभाषा बनाने का रखा था प्रस्ताव

चाणक्य मंत्र ब्यूरो, देहरादून।

हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व को पहचानता है और युवा पीढ़ी को इसका अधिक बार उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। दुनिया भर में लगभग 120 मिलियन लोग दूसरी भाषा के रूप में हिंदी बोलते हैं, और 420 मिलियन से अधिक लोग इसे अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था। वह कहते थे कि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।

भारत में अनेकों भाषाएं एवं बोलियां हैं। इसलिए यहां यह कहावत बहुत प्रसिद्ध है- कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी। भाषा एक संवाद का माध्यम है। भारतीय संविधान में भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। यद्यपि केंद्र सरकार ने 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया है। इसमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार अपने स्थान के अनुसार किसी भी भाषा का आधिकारिक भाषा के चयन कर सकती है।

केंद्र सरकार ने अपने कार्यों के लिए हिन्दी तथा रोमन भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया है। इसके अतिरिक्त राज्यों ने स्थानीय भाषा के अनुसार भी आधिकारिक भाषाओं का चयन किया है। इन 22 आधिकारिक भाषाओं में असमी, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संतली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, बोड़ो, डोगरी, बंगाली एवं गुजराती सम्मिलित है।

भारत की राष्ट्र भाषा को लेकर प्रारंभ से ही विवाद होता रहा है। इस संबंध में महात्मा गांधी कहते थे- “अगर हमें एक राष्ट्र होने का अपना दावा सिद्ध करना है, तो हमारी अनेक बातें एक-सी होनी चाहिए। भिन्न-भिन्न धर्म और सम्प्रदायों को एक सूत्र में बांधने वाली हमारी एक सामान्य संस्कृति है। हमारी त्रुटियां और बाधाएं भी एक-सी हैं। मैं यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि हमारी पोशाक के लिए एक ही तरह का कपड़ा न केवल वांछनीय है, बल्कि आवश्यक भी है।

हमें एक सामान्य भाषा की भी जरूरत है- देशी भाषाओं की जगह पर नहीं, परन्तु उनके सिवा। इस बात में साधारण सहमति है कि यह माध्यम हिन्दुस्तानी ही होना चाहिए, जो हिन्दी और उर्दू के मेल से बने और जिसमें न तो संस्कृत की और न फारसी या अरबी की ही भरमार हो। हमारी रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट हमारी देशी भाषाओं की कई लिपियां हैं। अगर एक सामान्य लिपि अपनाना संभव हो, तो एक सामान्य भाषा का हमारा जो स्वप्न है- अभी तो वह स्वप्न ही है- उसे पूरा करने के मार्ग की एक बड़ी बाधा दूर हो जाएगी।

यह दुखद है कि देश की एक बड़ी जनसंख्या द्वारा बोले जाने वाली हिन्दी अब तक राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है। कुछ लोग कहते हैं कि गैर हिन्दी विशेषकर दक्षिण भारत के लोगों के विरोध के कारण हिन्दी को उसका वास्तविक स्थान नहीं मिल पाया है, परन्तु यह कथन उचित नहीं लगता, क्योंकि महात्मा गांधी गुजरात से थे तथा उनकी मातृभाषा गुजराती थी, फिर भी वह हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाए जाने के प्रबल समर्थक थे।

हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए वर्ष 1953 से देशभर में 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। हिन्दी दिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान हिन्दी निबंध लेखन, वाद-विवाद, हिन्दी टंकण प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही 14 सितम्बर से हिन्दी सप्ताह मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

हिन्दी दिवस पर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए उत्कृष्ट कार्य करने हेतु राजभाषा गौरव पुरस्कार और राजभाषा कीर्ति पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को प्रदान किया जाता है। इसमें दस हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को दो लाख रुपये, द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को डेढ़ लाख रुपये तथा तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को 75 हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं।

साथ ही दस लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में दस-दस हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कार प्राप्त करने वाले लोगों को धनराशि के साथ प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिह्न भी प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य तकनीकी एवं विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाना है। राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग, समिति, मंडल आदि को उनके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार के अंतर्गत कुल 39 पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इसका उद्देश्य सरकारी कार्यालयों में हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना है।

हमारी राजभाषा और हमारी स्थानीय भाषाएं विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक है। जब तक हम इस बात का संकल्प नहीं करते कि इस देश का शासन, प्रशासन, इस देश का ज्ञान और अनुसंधान हमारी भाषाओं में होगा, राजभाषाओं में होगा। तब तक हम इस देश की क्षमताओं का उपयोग नहीं कर सकते। इसमें कोई दो मत नहीं है कि स्वतंत्रता के लगभग साढ़े सात दशक बाद भी देश की अपनी राष्ट्र भाषा नहीं है। जब देश का एक राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीक है। यहां तक कि राष्ट्रीय पशु-पक्षी भी एक है, तो ऐसे में महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि देश की अपनी राष्ट्र भाषा क्यों नहीं होनी चाहिए? भारतीय भाषाओं को अंग्रेजी की पिछलग्गू भाषा के रूप में क्यों बने रहना चाहिए? इस पर विचार किया जाना चाहिए। देशहित में हिन्दी को न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका की भाषा बनाया जाना चाहिए।

आइये समझते हैं इस दिन के बारे में बुनियादी बातें।

हिंदी दिवस कब और कैसे

हिंदी साहित्य को मनाने के लिए देश भर में कई अन्य सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाते हैं। हिंदी दिवस के अलावा, 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है, जो 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। यह पहली बार 2006 में पूर्व प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा दुनिया भर में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया गया था।

हिंदी दिवस का इतिहास

भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1949 से शुरू होकर हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया था। देवनागरी लिपि में लिखी गई एक इंडो-आर्यन भाषा हिंदी को 1949 में संविधान सभा द्वारा भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी और घोषित किया गया था। यह भारतीय गणराज्य की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है।

हिंदी दिवस का महत्व

हिंदी साहित्य का सम्मान करने और हिंदी भाषा के प्रति सम्मान दिखाने के लिए इस दिन देश भर में कई सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जाते हैं। हिंदी दिवस पर, मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और नागरिकों को हिंदी भाषा में उनके योगदान के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे पुरस्कार प्राप्त होते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू), विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और व्यक्तियों को हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।

1 Comment
  1. likhopadhobadho says

    हिन्दी हैं हम हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ता हमारा

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