मेरी एक दिन की खट्टी मीठी दिल्ली यात्रा!

डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
पंजाब में एक स्वतंत्रता सेनानी हुए है सरदार अमर सिंह सब्बरवाल, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में अपनी महती भूमिका निभाई।उनके राष्ट्र के प्रति योगदान को लेकर तथा अपने इस पूर्वज को श्राद्ध के दिनों में श्रद्धाजंलि अर्पित करने के लिए उनके परिवार के लोगो ने उनकी 108 वीं जयंती पर देशभर से विभिन्न क्षेत्र की 108 प्रतिभाओं को सम्मानित करने का निर्णय लिया।
स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार कल्याण परिषद के अध्यक्ष नित्यानन्द शर्मा की पहल पर स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के महासचिव जितेंद्र रघुवंशी के माध्यम से मुझे भी इन 108 प्रतिभाओं में सम्मान के लिए चुना गया।उत्तराखंड से हम 6 लोग जिनमे जितेंद्र रघुवंशी, सुरेंद्र सैनी ,ललित आदि शामिल है,इस सम्मान के लिए दिल्ली गए।
रास्ते मे पंडित जी के ढाबे पर दाल पराठा का नाश्ता करने के बाद महाराष्ट्र के पाटिल भाई के अनुरोध पर पहले हम गाजियाबाद में गौ सेवा संकल्प आधारित एक कार्यक्रम में प्रतिभाग करने गए।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए।
यह कार्यक्रम विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित किया गया था।आयोजक हमे कार्यक्रम द्वार पर लेने आए और हमारा गरिमामयी सम्मान किया।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने में अभी समय था और हमे दूसरे कार्यक्रम के लिए करोलबाग के लिए निकलना था।लेकिन आयोजको ने हमे विशिष्ट सम्मान देते हुए हमें कार्यक्रम स्थल पर लगे कुछ स्टालों को दिखाया ,जो गाय के दूध,गोबर व मूत्र से बने उत्पाद की प्रदर्शनी थी।
वही उन्होंने जो किट दी।उसमें गाय के गुणों व उसमें निहित देवत्व का वर्णन था,जिसे पढ़कर मैं अभिभूत हुआ।खैर ,योगी जी के आने से पहले ही हमने विदाई ली और पहुंच गए स्वतंत्रता सेनानी अमर सिंह सब्बरवाल को श्रद्धांजलि देने।यह कार्यक्रम एक बजे शुरू होना था,जो एक घण्टे से भी अधिक देरी से शुरू हो पाया।
यूं तो इस कार्यक्रम में भारत सरकार की एमिनेंट कमेटी के सदस्य स्वतंत्रता सेनानी आर माधवन जी,स्वतंत्रता सेनानी पांडे जी व भारत भूषण वेदालंकार समेत कई स्वतंत्रता सेनानी मौजूद रहे,जो अंत तक मंच के बजाए प्रथम पंक्ति में ही बैठे रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता के अभाव में अव्यवस्था इस कदर बढ़ गई कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष योगानन्द शास्त्री समेत अनेक नेताओं की चापलूसी में ही सारा कार्यक्रम सिमट कर रह गया।बामुश्किल नित्यानन्द शर्मा की पहल पर चार स्वतंत्रता सेनानियों को अव्यवस्थाओं के शिकार मंच पर बुलाकर किसी तरह से मीरा कुमार के हाथों सम्मान की प्रक्रिया पूरी की गई।
मीरा कुमार जो स्वयं स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की बेटी है,मंच से नीचे बैठे स्वतंत्रता सेनानियों को मंच पर बैठाने का सम्मान नही दिला पाई।वही योगानन्द शास्त्री भी शोरशराबे के बीच घन्टाभर बोलकर चले गए।लेकिन जिन 108 प्रतिभाओ को देश के कोने कोने से सम्मान के लिए बुलाया गया था,उनकी तरफ न आयोजको का ध्यान था,न ही संचालको का।
यही कारण रहा कि अधिकांश सम्मान पत्र ,स्मृति चिन्ह मंच पर ही धरे रह गए और अधिकांश लोग बिना सम्मान के लौट गए।हालांकि स्वतंत्रता सेनानी अमर सिंह सब्बरवाल के परिवार ने इस आयोजन के लिए दिल खोलकर खर्च किया था।उनके मन मे सबके प्रति श्रद्धा भाव भी भरपूर था।
लेकिन शायद अनुभव की कमी और पर्याप्त व्यवस्थित संचालन के अभाव में न ढंग से स्वतंत्रता सेनानी अमर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम हो पाया और न ही आमंत्रित  प्रतिभाओं को आयोजक विधिवत सम्मानित कर पाए।बहरहाल आयोजको की अपने पूर्वज के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने की सोच की तारीफ़ करनी चाहिए।इसके कम से कम उनके परिवार की अगली पीढ़ी अपने बुजुर्गों के राष्ट्र योगदान को जानकर गौरवान्वित हो सकेगी।वही यह भी संकल्प लेना चाहिए कि जिनके कारण आज हम आजादी की सांस ले रहे है,उनका सम्मान सर्वपरि है।
जिनके कारण आज़ादी मिली
उनका सम्मान न भूलो प्यारे
राजनीति की इस चकाचौंध में
सुसंस्कारों को न भूलो प्यारे
स्वतंत्रता सेनानी धरोहर हमारी
उनको शीर्ष पर रखना होगा
राजनेता उन्ही के कारण है
नेताओं को यह समझना होगा
दल से पहले देश है प्यारे
इस सच की गांठ बांध लो सब
स्वतंत्रता सेनानी परिजन हमारे
‘राष्ट्रीय परिवार’ रूपी शान है सब।

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