नयी दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया कि आजादी के बाद की सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के चलते हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का निर्णय नहीं लिया जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लोगों के मन की भावना को समझते हुए हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का निर्णय लिया है।
शाह ने तेलंगाना में 75वें हैदराबाद मुक्ति दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के मौके पर यह बात कही। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शाह ने कहा कि कई वर्षों से इस क्षेत्र के लोगों की मांग थी कि हैदराबाद मुक्ति दिवस को सरकारी तौर पर मनाया जाए, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि 75 वर्षों तक जिन्होंने यहां शासन किया उन्होंने वोट बैंक की राजनीति के कारण हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का साहस नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के लोगों के मन की भावना समझते हुए हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का निर्णय लिया।
गृह मंत्री ने कहा, ” 15 अगस्त, 1947 के दिन पूरा देश आजादी का उत्सव मना रहा था लेकिन हैदराबाद को आजादी नसीब नहीं हुई थी। 13 महीनों तक निजाम के अन्यायों और अत्याचारों को ये क्षेत्र सहन करता रहा और उसके बाद जब सरदार पटेल ने पुलिस एक्शन लिया तब तेलंगाना स्वतंत्र हुआ था।
उन्होंने कहा कि इस आजादी के लिए कोमाराम भीम, रामजी गोंड, स्वामी रामानंद तीर्थ, एम चिन्नारेड्डी, नरसिम्हा राव, शाइक बंदगी, के वी नरसिम्हा राव, विद्याधर गुरु और पंडित केशवराव कोरटकर जैसे अनगिनत लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था।
शाह ने कहा कि हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का उद्देश्य इस मुक्ति संग्राम के इतिहास और जाने-अनजाने शहीदों की गाथाओं को युवा पीढ़ी के मन में पुनर्जीवित कर उनके मन में देशभक्ति की लौ जगाना है। इससे हमारी नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना पुनर्जीवित होगी।