डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
जब कोई व्यक्ति अधिमान्य शिक्षा से कही अधिक श्रेष्ठ और विद्वान हो जाता है, तब देश दुनिया में उसे मान्यता व सम्मान स्वरूप विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थान अपनी सर्वोच्च शिक्षा उपाधि डॉक्टरेट या फिर डीलिट मानद रूप में प्रदान करते है।यूं तो प्रायः हर क्षेत्र में विभिन्न विभूतियों को इस तरह के मानद सम्मान मिलते रहे है।लेकिन आध्यात्म के क्षेत्र में पहले इस तरह का सम्मान नही मिल पाता था।
परंतु जब से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू ने दुनिया के 140 देशों में अपने साढ़े आठ हजार से अधिक राजयोग शिक्षा केंद्र खोल दुनियाभर में राजयोग शिक्षा के पाठ्यक्रमों के माध्यम से आध्यात्म व चरित्र निर्माण को बढ़ावा दिया है तब से शिक्षण संस्थानों ने भी ब्रह्माकुमारीज़ के इस पाठ्यक्रम को न सिर्फ मान्यता देकर अपने यहां यह पाठ्यक्रम लागू किया बल्कि ब्रह्माकुमारीज़ की शीर्ष विभूतियों जो राजयोग व आध्यात्म में पाठ्यक्रम से भी कही ऊपर है ,को मानद डॉक्टरेट देकर इस ज्ञान को स्वीकार्य किया है।हाल ही में मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने ब्रह्माकुमारीज़ की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी बहन व संस्था के महासचिव बीके निर्वेर भाई को राजयोग के माध्यम से सामान्य व्यक्तियों को श्रेष्ठ मनुष्य बनाने में योगदान के लिए डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की है।
उन्हें यह सम्मान यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ हरी कुमार ने स्वयं उनके पास पहुंचकर दिया।इससे पूर्व बेल्लारी विश्वविद्यालय द्वारा संस्था की मुख्य प्रशासिका रही दादी गुलज़ार को डॉक्टरेट ऑफ़ लिटरेचर की मानद उपाधि सन 2019 में प्रदान की थी।वही संस्था की ही मुख्य प्रशासिका रही दादी जानकी को 101 वर्ष की आयु में विसाखापट्टनम विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट का सम्मान प्रदान किया गया था।रांची विश्वविद्यालय ने तो अपने 6 दशक के इतिहास में पहली बार ब्रह्माकुमारीज़ के कार्यकारी सचिव बीके मृतुन्जय भाई को उनके आध्यात्मिक योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया।
वही वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके उषा माणिक लाल नायक व राजयोगी कवि बीके विवेक भाई को विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा विद्या वाचस्पति व विद्या सागर का मानद सम्मान दिया जाना शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा आध्यात्म व राजयोग शिक्षा के प्रति स्वीकार्यता का प्रमाण है।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय अंतरराष्ट्रीय स्तर विश्व मे शांति, सदभाव की अलख जगा रहा है।हाल ही में हुए ब्रह्माकुमारीज़ के वैश्विक शिखर सम्मेलन-2022 में आध्यात्मिक पथ पर चल कर विश्व शांति कायम करने का आव्हान किया गया ।
‘विश्व शांति का अग्रदूत भारत’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का उदघाटन 11 सितंबर को संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी , सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, हरियाणा के जनजातीय मंत्री ओम प्रकाश यादव समेत बड़ी संख्या में देश विदेश की ख्यातनाम हस्तियों द्वारा किया गया है।संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर विषय के तहत यह वैश्विक शिखर सम्मेलन (ग्लोबल समिट-2022) आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में कई प्रदेशों के मंत्री, राजनेता, सांसद, विधायक, फिल्म अभिनेता, सुप्रसिद्ध समाजसेवी, वरिष्ठ मीडियाकर्मी, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद, उद्योगपति समेत तमाम नामचीन हस्तियां शामिल रही।
यह वैश्विक शिखर सम्मेलन कई मायनों में खास रहा है। इसमें एक स्वागत सत्र, उद्घाटन सत्र, चार खुले सत्र, चार ध्यान योग सत्र के साथ समापन सत्रों में कई विषयों पर विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान विचार मंथन कर रहे है।इस वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक लोगों में मानवीय मूल्यों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।साथ ही शांति और अहिंसा के मूल्यों को बढ़ावा देना, भौतिक चेतना से आत्मिक चेतना में बदलाव लाना और एक स्थायी वातावरण सुनिश्चित करने में समाज की सकारात्मक और सक्रिय भूमिका को प्रोत्साहित करना है।
सम्मेलन में हिंसा मुक्त समाज की स्थापना में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के चमत्कारों का उपयोग करने के साथ ही महिलाओं को आनंद और खुशी के ध्वजवाहक के रूप में सम्मानित करना, युवाओं को रचनात्मक और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करना इस वैश्विक शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य रहा है।इसी तरह के विभिन्न आयोजनों के माध्यम से व देश के करीब दो दर्जन विश्वविद्यालयो द्वारा अपने यहां राजयोग शिक्षा का पाठ्यक्रम लागू करके तथा शीर्ष राजयोगियो को डॉक्टरेट का सम्मान देकर आध्यात्म व राजयोग को मान्यता दी है।जो देश दुनिया के लिए बहुत ही सुखद है।