त्रिवेंद्र के साथ घटित घटना पहाड़ की बेबसी का नमूना : हरीश

बोले, उत्तराखंड में वन्य जीवों के दखल का उदाहरण

देहरादून। बीते शाम कोटद्वार के पास पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के काफिले के आगे जंगली हाथी के आने की घटना सामान्य नहीं है। यह घटना बताती है कि समूचे पर्वतीय क्षेत्र में जंगली जानवरों का दखल कितनी तेजी से बढ़ रहा है

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस घटना में त्रिवेंद्र व उनके सहयोगियों के सकुशल बच जाने पर भगवान कंडोलिया का आभार जताया है।

रावत ने कहा है कि पहाड़ों व मैदानों में, जंगल से लगे हुए सभी क्षेत्रों में जिस तरीके से जंगली जानवरों का आतंक छा गया है उससे गांव खाली हो रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनके गांव के 10 किलोमीटर के दायरे में इस समय 3 बाघ और दो गुलदार सक्रिय हैं।

दो लोगों पर झपट चुके हैं, 2 गायों को घायल कर चुके हैं। लोग बेबसी में पलायन करते हैं, लेकिन बेबसी में अब लोग गांवों में भी रह रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उन्होंने अपने छोटे से कार्यकाल में वन्य पशु, पंचायती वन, पर्यटन आदि सब चीजों को जोड़कर जिसमें जल संरक्षण भी सम्मिलित है, एक होलिस्टिक प्रोग्राम आधारित योजना बनाई थी।

जिस पर काम हो रहा था। उस योजना के अब कुछ ही अवशेष बाकी हैं या जिन पर काम हो रहा है, बाकि सब रोक दिए गए हैं।
रावत ने कहा कि किसी ने भी इन 6 वर्षों में उनसे यह जानने की कोशिश नहीं की कि इन योजनाओं को क्रियान्वित करने के पीछे उनका उद्देश्य क्या था।

उत्तराखंड तरक्की करेगा, खूब तरीके से करेगा, मगर अपनी मानव शक्ति, संस्कृति और आध्यात्मिक स्वरूप को गंवा देगा। कांग्रेस नेता ने कहा है कि वे प्रधानमंत्री से भी कहना चाहते हैं कि मैंने भी बेडू, तिमला, सबकी बात कही थी। आप भी उसकी बात कर रहे हैं। उन्हें सुनकर अच्छा लग रहा है, लेकिन उत्तराखंड का दर्द इतना ही नहीं है।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ जो घटना घटित हुई, वह उत्तराखंड के लोगों की समस्या की एक बानगी भर है, वह उत्तराखंड में जंगली जानवरों के प्रकोप का एक हजारवां अंश है। लोगों ने खेत बंजर छोड़ दिए हैं।

गांव-घरों के आसपास बिच्छू घास के जंगल उग आए हैं। उनके घर के जिस बगीचे में सेब होते थे आज वहां लैंटाना के झुरमुट में सूअरों का वास है।

उन्होंने सीएम धामी से कहा है कि इसको वे अपने कार्य पर टिप्पणी न समझें तो उनका एक आग्रह है कि केवल विद्वान लोगों से ही परामर्श करने से समस्या का समाधान नहीं निकालेगा। समस्या का समाधान भुक्तभोगियों से बातचीत करके निकलेगा।

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