नयी दिल्ली। द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन पर राजनेताओं सहित कई सामाजिक संगठनों ने गहरा दुख और शोक व्यक्त किया है।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पहचान ,”हिंदू धर्म और भारतीयता के महान ध्वजवाहक के रूप में है। उनके निधन से देश ने अपने युग का एक महानतम संत, हिंदू धर्म का महान ज्ञाता और देश की एकता और अखंडता का सच्चा प्रतीक खो दिया है। उन्होंने आजीवन परमार्थ के लिए काम किया।
द्वारका एवं शारदा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था। वे सभी समाज को साथ लेकर चलने वाले थे। वे ऐसे धर्मगुरु थे जो कि तर्क और न्याय पर भरोसा करते हुए ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग सुझाते थे। स्वामी जी ने धर्म और परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके जाने से समस्त हिन्दू आस्था को क्षति पहुंची है। जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे। आजादी की लड़ाई में भाग लेकर शंकराचार्य जेल गए थे। राम मंदिर निर्माण के लिए भी उन्होंने लंबी कानून लड़ाई लड़ी थी। हाल ही में स्वामी जी ने अपना 99वें जन्मदिन मनाया गया था। उन्होंने घर का त्याग कर धर्म यात्रायें शुरू की थी। समाज हित के लिए गए कामों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा।