लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में बायो फ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए जैव ऊर्जा नीति तैयार करने के निर्देश दिए ।
यहां एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, एथेनॉल और बायो डीजल जैसे जैव ऊर्जा प्रकल्पों को प्रोत्साहन के हमारे प्रयासों के सकारात्मक परिणाम देखने की मिले हैं।
अब तक बायोकोल की 02 इकाइयों में उत्पादन भी शुरू हो चुका है और कम्प्रेस्ड बायोगैस की 01 इकाई विगत जून माह ने पूर्ण हो चुकी है। सभी 75 जिले में न्यूनतम 01 बायोफ्यूल इकाई की स्थापना के लिए नियोजित प्रयास किए जाएं। यह कार्य प्राथमिकता के साथ हो।
अगले चरण में इसे हर तहसील तक बढ़ाया जाना चाहिए। बायो फ्यूल प्लांट की स्थापना और बायोमास भंडारण के लिए ग्राम समाज या राजस्व भूमि या चीनी मिल परिसर में खाली भूमि का उपयोग किया जाना चाहिए। इस क्षेत्र की निवेशकर्ता कंपनियों के लिए भूमि की सुलभ उपलब्धता, पूंजीगत उपादान सहित सभी जरूरी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
नवीन जैव ऊर्जा नीति तैयार करते समय औद्योगिक जगत से परामर्श जरूर करें। निवेशकर्ता ,संस्थाओं व कंपनियों की जरूरतों को समझें। सभी पक्षों की राय लेते हुए व्यापक विमर्श के बाद नवीन नीति तैयार की जाए। अन्नदाता किसानों द्वारा पराली जलाए जाने से पैदा हो रही पर्यावरणीय चुनौतियों के स्थायी समाधान के लिए विशेष प्रयास करना होगा। नवीन नीति में इस विषय का ध्यान रखा जाए।
भविष्य की जरूरतों के लिए बायोमास सप्लाई चेन का विकास करना होगा। ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। विद्युत उत्पादन गृहों में बायोमास पैलेट्स के उपयोग किया जाना चाहिए। इस दिशा में ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है।
बायो फ्यूल को बढ़ावा देना कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देने में सहायक होगा। बायो फ्यूल न केवल हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगा, बल्कि अतिरिक्त आय और रोज़गार सृजन में भी सहायक होगा।