देहरादून।उपभोक्ता से हुई क्रेडिट कार्ड की लूट के बाद क्रेडिट कार्ड से हुए ट्रांजैक्शन का भुगतान करने के लिए उपभोक्ता जिम्मेदार नहीं है । वर्ष 2016 में एक ओएनजीसी अधिकारी के साथ इस तरह की घटना हुई थी। मामले में उपभोक्ता आयोग ने बैंक को निषेधाज्ञा का आदेश दिया है।
आयोग ने आदेश दिया कि बैंक उपभोक्ता को हुई मानसिक क्षति पूर्ति के लिए 15 हजार रुपए और वाद व्यय के लिए 5 हजार रुपए अदा करने का उत्तरदायी है।
मामले में आेएनजीसी अधिकारी सन्नी वर्गीज ने एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को पक्षकार बनाते हुए उपभोक्ता आयोग में शिकायत दी।
उपभोक्ता सन्नी वर्गीज ने अदालत को बताया कि वह 29 अप्रैल 2006 को बस के जरिए देहरादून से दिल्ली जा रहा था । यहां से उसे मुंबई होते हुए कोचीन जाना था ।सफर के दौरान उसके सहयात्री ने उसे कुछ नशीला पेय पदार्थ दिया जिससे वह बेहोश हो गया ।
सुबह जब बस दिल्ली बस स्टैंड पहुंची तो ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने उसे बेहोशी की हालत में पाया और अरुणा आसफ अली हॉस्पिटल में भर्ती कराया । यहां एक दिन बाद उसे होश आया और उसे डिस्चार्ज किया गया । हालांकि इस दौरान उसके सहयात्री ने उसे नशीला पदार्थ देकर उसका कीमती सामान सहित एसबीआई द्वारा जारी क्रेडिट कार्ड भी चोरी कर लिया था ।
उसकी बेहोशी दौरान उसका कार्ड लूट कर ले जाने वाले शख्स ने उसके कार्ड से करीब एक लाख रूपए की खरीदारी व खर्च किया। उधर बैंक ने उसे दो लाख तीस हजार रुपए के भुगतान करने का नोटिस भेजा।
उपभोक्ता ने आयोग से मांग की कि बैंक को भुगतान ना लेने के लिए आदेशित किया जाए। क्योंकि बेहोशी की हालत में उसे ट्रांजैक्शन की कोई जानकारी नहीं थी और बैंक से इसे लेकर बीमा भी करवाया गया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने माना कि बेहोशी की हालत में हुई ट्रांजैक्शन की जानकारी उपभोक्ता को नहीं थी ।
ऐसी हालत में वह भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं है। दूसरी ओर ट्रांजैक्शन के दौरान बैंक की ओर से भी हस्ताक्षर का मिलान नहीं करवाया गया। यदि हस्ताक्षर का मिलान करवाया गया होता तो किसी भी सूरत में यह ट्रांजैक्शन नहीं की गई होती।
आयोग ने आदेश दिया कि बैंक को उपभोक्ता से कोई भी धनराशि वसूल किए जाने से निषेधित किया जाता है। साथ ही बैंक को आदेश दिया गया कि वह उपभोक्ता को मानसिक क्षति पूर्ति के लिए 15 हजार रुपए व वाद व्यय के लिए 5 हजार रुपए का भुगतान करें। बैंक को 30 दिन के अंदर भुगतान करना होगा।
समय पर भुगतान न किए जाने पर उपभोक्ता इस राशि पर 9: वार्षिक की दर से साधारण ब्याज भी पाने का अधिकारी होगा।