देहरादून । उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसर में संबद्ध 26 चिकित्साधिकारी विवि प्रशासन और शासन के बीच की लड़ाई में फंस गए हैं। कुछ समय पहले शासन ने उनकी संबद्धता बहाल रखने का अनुरोध ठुकराकर आदेश दिया था कि इन्हें तुरंत मूल तैनाती पर भेजा जाए। पर विवि ने उन्हें रिलीव किया नहीं।
अब मान्यता के लिए इन्हें भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा प्रणाली आयोग के निरीक्षण में फैकल्टी दिखा दिया गया है। उधर, इन चिकित्सा अधिकारियों के अब तक रिलीव न होने पर शासन ने विवि प्रशासन से जवाब मांगा। जिस पर विवि प्रशासन ने तर्क दिया है कि प्रत्येक फैकल्टी से पूरे शैक्षणिक सत्र में अध्यापन के लिए उपस्थित रहने का शपथ पत्र लिया गया है।
शासन से इनकी संबद्धता बहाल रखने का अनुरोध किया गया था, अब शासन ही इस विषय में दिशा-निर्देश दे। लेकिन मुश्किल यह कि शासन व विवि प्रशासन की इस खींचतान में चिकित्सा अधिकारियों का वेतन अटक गया है। मूल तैनाती पर न जाने पर निदेशालय ने उनका वेतन रोक दिया है। बताया जा रहा है कि जून व जुलाई का वेतन उन्हें नहीं मिला है।
ऐसे में आयुर्वेद विवि के हर्रावाला, गुरुकुल व ऋषिकुल परिसर में तैनात ये चिकित्साधिकारी बिना वेतन काम कर रहे हैं। विवि के कुलसचिव डा. राजेश अदाना का कहना है कि दो और तीन अगस्त को एनसीआईएसएम की ओर से तीनों परिसरों में वर्चुअल निरीक्षण किया गया है।
मान्यता की प्रक्रिया में फैकल्टी की ओर से शपथ पत्र दिए गए हैं। संबद्धता बहाल किए जाने के संबंध में शासन से फिर अनुरोध किया जा रहा है। उम्मीद है कि छात्र व फैकल्टी के हित में शासन जल्द सकारात्मक फैसला लेगा।