- दूध,मक्खन और मट्ठा की बौछार कर खेली जाती होली
उत्तरकाशी। रंगों की होली खेलना जहां एक आम बात है और इसके लिये वर्षभर में होली के त्यौहार में लोग एक दूसरे को गुलाल लगाकर आपसी भाईचारे को संदेश देते है,वहीं जिले में एक ऐसी अनूठी होली भी प्रचलित है जो रंगों से नहीं बल्कि दूध, मक्खन, मट्ठा से खेली जाती है।
यह अनूठी होली और कहीं नहीं बल्कि प्रसिद्ध पर्यटक स्थल दयारा बुग्याल में मानसून के समाप्त होने के बाद स्थानीय ग्रामीण अपने मवेशियों तथा अपनी खुशहाली और समृद्धि के लिये बुग्यालों से लौटते समय खेलते है। इस अनूठी होली का अब वर्षों से बटर फेस्टिवल के रूप में प्रचलन हो गया है।
इस बार भी 17 अगस्त दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल धूमधाम से मनाया जायेगा। पर्यटन उत्सव समिति ने इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली है। पहले के वर्षों की देष-विदेष के पर्यटक भी छांछ,दूध,मक्खन की होली खेलने के लिये बड़ी संख्या में दयारा बुग्याल आएंगे।
स्थानीय स्तर पर इससे अडूड़ी त्योहार भी कहते है। समिति का कहना है बटर फेस्टिवल का उद्घाटन को सीएम पुष्कर सिंह धामी करंगे।
विकास खंड भटवाड़ी के अंतर्गत ग्राम पंचायत रैथल व बार्सू की परिधि में पडऩे वाले दयारा बुग्याल 280 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ हैं। दयारा बुग्याल में प्राकृतिक सौंदर्य का जहां अपार भंडार है,वहां रंग-विरंगे विभिन्न प्रजाति के खुशबूदार फूल और बेमिसाल जड़ी बूटियां यहां आने वाले लोगों मंत्रमुग्ध कर देती है।
दयारा बुग्याल समुद्र तल से 1100 फिट की उंचाई पर स्थित है ,जिसके चारों ओर लंबे भू-भाग में मखमली घास फैली हुई है,जिसे देखकर हर कोई व्यक्ति अभिभूत होकर वह मखमली घास और रंग-बिरंगे फूलों को घंटों तक निहारने से नहीं चूकता है।
दयारा बुग्याल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शुमार होने पर भी अभी तक सरकार की ओर से यहां के लिये पर्यटन विकास की कोई ठोस योजना तैयार नहीं की गई है। यह स्थल साहसिक खेलों के लिये भी उपयुक्त है तथा यहां बर्फबारी होने पर औली जैसे खेलों का भी आयोजन किया जा सकता है।
दयारा बुग्याल अब कोई गुमनाम नहीं बल्कि बटर फेस्टिवल के चलते यह स्थल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी प्रचलित हो गया है। दयारा बुग्याल में रैथल,बार्सू तथा आस-पास के गांव के लोगों की छानियां स्थापित है। इस क्षेत्र के ग्रामीण हर वर्ष अप्रैल-मई माह में अपनी गाय,भैंस, भेड़ बकरियां व अन्य मवेशियों को चुगाने के लिये बुग्याल क्षेत्र में ले जाते है तथा स्वयं छानियों में निवास करने के लिये चले जाते है।
मानसून के समाप्त होने पर हर वर्ष 16-17 अगस्त को ग्रामीण अपने मवेशियों को लेकर बुग्याल से क्षेत्र से अपने-अपने गांव लौटने लगते है। यह देखकर पूर्व से चली आ रही परंपरा जारी रखते हुये ग्रामीण दयारा बुग्याल के मैदान में दूध-मट्ठा व मक्खन की होली खेलते है।
ग्रामीण एक दूसरे पर दूध, छाछ मक्खन लगाकर खुशी मनाते है। बताते है कि ऐसा ग्रामीण अपने मवेशियों की खुशहाली, देवी देवताओं तथा प्रकृति के अभार जताने के लिये करते है। बुग्याल को अलविदा कर एक साल फिर से बुग्याल क्षेत्र में सकुशल लौटने की कामना करते है।
दयारा बुग्याल के प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित होने तथा इस स्थल के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होने पर पिछले कई वर्षों से स्थानीय लोगों ने दूध, छाछ मक्खन की होली को बटर फेस्टिवल नाम देकर इसे वृहद स्तर पर मनाने के लिये बाकायदा दयारा पर्यटन उत्सव समिति को गठन किया है।
समिति दयारा बुग्याल मैदान में हर वर्ष बड़े स्तर बटर फेस्टिवल का आयोजन करती आ रही है। कोविड के कारण दो वर्ष दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल का आयोजन नहीं हो सका। इस वर्ष समिति बटर फेस्टिवल मनाने के लिए पिछले एक माह से तैयारी में जुटी है।
समिति ने मुख्यमंत्री को 17 अगस्त को दयारा बुग्याल आने का निमंत्रण दिया है। बटर फेस्टिवल में स्थानीय लोगों को साथ ही देष के विभिन्न हिस्सों तथा विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में षांमिल होकर दूध-मक्खन और मट्ठा की होली का लुत्फ उठाने के लिये बड़ी दयारा बुग्याल पंहुचते है।
दयारा बुग्याल में पर्यटन की आपार संभावनाओं को देखते बुग्याल के शासन के कई आलाधिकारियों के साथ की मत्री भी अब तक दयारा बुग्याल पंहुच चुके है। सभी ने इस स्थल को विश्व के मानचित्र पर स्थापित कर पर्यटन विकास की योजना बनाने की बात कही थी,लेकिन अभी तक इस बारे मेंं कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई हैं।
पर्यटन स्थल के रूप में शुमार दयारा बुग्याल का प्रमुख पड़ाव स्थल रैथल गांव व बार्सू गांव तक उत्तरकाषी से भटवाड़ी तथा भटवाड़ी से दोनों गांव तक सडक़ मार्ग से पंहुचा जा सकता है।
इसके बाद दयारा बुंग्याल के जाने के लिये रैथल गांव से सात किमी तथा बार्सू से 6 किमी खड़ी चढ़ाई चलकर पंहुचा जा सकता है। दयारा बुग्याल जाने के लिये घोड़े-खच्चरों आदि की दोनों गांवों से व्यवस्था है।
दयारा बुग्याल में समय-समय पर पर्यटक सैर सपाटे करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते रहते है। बार्सू व रैथल गांव भी पर्यटन गांव के रूप में जाने जाते है। दोनों गांवों में ग्रामीण बड़ी संख्या में होम स्टे की भी योजना संचालित कर रहे है।
दयारा बुग्याल में पर्यटन का आपार संभावनाएं को देखते हुये इस स्थल को रोपवे से जोड़ने की स्थानीय ग्रामीण वर्ष 1996 से मांग कर रहे ,लेकिन अभी तक इस बारे में ठोस कार्यवाही नहीं हुई है,जिससे सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये किये जा रहे सभी दावे खोखले साबित हो रहे है।
बार्सू निवासी जगमोहन सिंह रावत, रैथल निवासी पंकज खुषाली का कहना है कि दयारा बुग्याल में इस वर्ष भी 17 अगस्त को दयारा पर्यटन उत्सव समिति बटर फेस्टिवल को धूमधाम से मनायेगी। बटर फेस विल को लेकर स्थानीय ग्रामीण काफी उत्साहित है।
उन्होंने कहा कि बटर फेस्टिवल एक अनूठा त्योहार है,जिसमें शामिल होकर ज्यादा से ज्यादा देश विदेश के पर्यटकों व स्थानीय लोगों को दूध,मक्खन, छाछ की होली का लुत्फ उठाने के लिये दयारा बुग्याल पहुंचना चाहिए।