देहरादून। राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त शिक्षण संस्थान चिरगाँव (झांसी) एवं बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा इस वर्ष का प्रतिष्ठित ‘मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान’ हिमवंत के राष्ट्रीय कवि एवं भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को दिया गया।
झाँसी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित एक भव्य समारोह में उनको यह सम्मान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के प्रो. मुकेश पाण्डेय ने कहा कि डॉ. निशंक ने एक सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की है।
उनके देशभक्ति पूर्ण काव्यसंग्रहों का विमोचन भारत के चार-चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में करके उन्हें सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने उन्हें ‘ हिमवंत का राष्ट्रिय कवि’ कहकर सम्बोधित किया था। आज यह सम्मान उन्हें प्रदान करते हुए हम गर्व का अनुभव करते है।
पूर्व शिक्षा मंत्री और साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि राष्ट्रकवि गुप्त जी राष्ट्रभक्ति युक्त काव्य से वे बचपन से ही प्रभावित रहे हैं।
उनकी कविताओं ने स्वाधीनता आन्दोलन में राष्ट्र प्रेम की अलख जगाई। उनकी कवितायेँ सदैव युवा पीढ़ी के लिए जागरण और प्रेरणा का पथ दिखलाती रहेगी।
विशिष्ट अतिथियों के रूप में श्री अनिल जी, प्रांत कार्यवाह (कानपुर प्रांत), श्री सुरेन्द्र सिंह सम्पादक (दैनिक जागरण),रामतीर्थ सिंघल (महापौर झांसी), डॉ. वैभव गुप्त (राष्ट्रकवि गुप्त के पौत्र) ने भी अपने विचार व्यक्त कर डॉ. निशंक को बधाई दी।
राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त शिक्षण संस्थान के प्रबंध निर्देशक और राष्ट्रकवि के पोते डॉ. वैभव गुप्त ने कहा कि चयन समिति द्वारा इस वर्ष के इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए डॉ. निशंक का नाम चयनित किया गया। यह सम्मान उन्हें प्रदान कर हम स्वयं को भी सम्मानित महसूस कर रहे हैं।
कार्यक्रम में डॉ. पुनीत बिसारिया प्रो. अवनीश कुमार, डॉ. अचला पाण्डेय, डॉ. डीके भट्ट, डॉ. अनुपम व्यास, प्रसिद्ध कवियित्री डॉ. कीर्ति काले, विधयाक रवि शर्मा झांसी सदर, राजीव परीछा विधायक बबीना, प्रो. अंजना सोलंकी (राष्ट्रकवि गुप्त की नातिन),श्रीमती अंजली गुप्त (राष्ट्रकवि गुप्त की पौत्र वधु) परिवार के सभी लोगों सहित नगर की अनेक गणमान्य लोग एवं विश्वविद्यालय के तमाम प्रोफेसरगण एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
राष्ट्रकवि की जन्मस्थली का भी किया भ्रमण
डॉ. निशंक ने राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त की जन्मस्थली उनके पैतृक गाँव चिरगाँव का भ्रमण किया और वहां आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्र कवि के चित्र पर पुष्प अर्पित अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। डॉ. निशंक ने उनके सभी परिवारजनों और गाँव के बड़े बुजुर्गों से राष्ट्रकवि गुप्त के व्यक्तित्व, कृतित्व पर चर्चा की और उनके संस्मरण सुने।
डॉ. निशंक ने उन तमाम स्थानों के भी दर्शन किये जहां पर राष्ट्रकवि बैठा करते थे, कवितायेँ लिखते थे, अध्ययन करते थे और पूजा करते थे। डॉ. निशंक ने कहा कि राष्ट्र कवि की इस विरासत को सजोकर रखे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने मैथिलीशरण गुप्त शिक्षण संस्थान और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा समन्वय स्थापित कर उनकी जन्मस्थली चिरगांव में लेखक गाँव की स्थापना किये जाने का विचार दिया। उन्होंने कहा कि यह पवित्र स्थान सदैव ही नई पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम के प्रति प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।
निशंक जी को पुरस्कार मिलने पर बधाई .