नैनीताल । यह बड़ी अजीब सी स्थिति है जब किसी व्यक्ति के जीवित रहते शासन-प्रशासन उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर देता है, और संबंधित व्यक्ति खुद को जीवित साबित करने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं।
यह स्थिति यह जरूर बताती है कि जीते-जी व्यक्ति को मृत व्यवस्था जरूर मर गई है, या मरने जा रही है।
कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत के दरबार में एक ऐसा मामला सामने आया है। यहां एक व्यक्ति अपना खुद का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर पहुंचा और खुद यह कहने लगा, ‘साहब मैं जिंदा हूं, मुझे आपकी व्यवस्था, या कि मातहतों ने कागजों में जीते-जी मार दिया है।’
उसने बताया कि वह हरि .कृष्ण बुधलाकोटी है। उसे तहसील और ग्राम पंचायत के कर्मचारियों द्वारा फर्जी तरीके से 1980 में मृत घोषित कर 2010 में उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बना कर यानी मृतक घोषित कर, उनकी नैनीताल के पंगोट स्थित जमीन को 2011 में कुछ भू माफियाओं ने खरीद लिया है।
न्याय पाने के लिए सरकारी ऑफिसों के चक्कर काटते-काटते निराश होकर वह अब कुमाऊं कमिश्नर के दरबार में आया है।
उन्होंने बताया कि रामनगर में तैनात वन विभाग के एक बड़े अधिकारी ने कोश्या-कुटौली तहसील के कर्मचारियों की मिलीभगत से उसकी पंगोट स्थित 30 नाली जमीन को भू माफियाओं से मिलकर खरीदा है। उन्होंने इस संबंध में तहसील में भी शिकायत की है, लेकिन तहसीलदार भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
उसका मृत्यु प्रमाण पत्र पंचायत और तहसील के कर्मचारियों की मिलीभगत से बनाया गया है। उनकी समस्या पर कुमाऊं मंडलायुक्त दीपक रावत ने तहसीलदार कोश्या-कुटौली को पूरे मामले में निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि यह बेहद गंभीर मामला है और इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।