बागेश्वर। पहाड़ के गांवों में जंगली जानवर आम आदमी की जान का खतरा बने हुए हैं। पहले गुलदार जैसे जानवर रात में घूमा करते थे वो अब दिन के उजाले में बोड़क घूम रहे हैं और जानवरों को ही अपना शिकार बनाने वाले गुलदार आदमी पर हमला बोल रहे हैं।
जनपद में पिछले बीस सालों में कुल 31 लोगों की जान ले चुके हैं जिसमें 18 लोगों की जान गुलदार के हमले से गई है। इसके अलावा सांप,सुअर के आये दिन होने वाले हमलों से लोग जान गंवा रहे हैं।जनपद में एक बार फिर इन दिनों जंगली जानवरों का आतंक मचा हुआ है।
अधिकांश गांवों में गुलदार की दहशत के मामले प्रकाश में आ रहे हैंं। कई गांवों में दिन में ही गुलदार दिखने की शिकायत विभाग के पास आ रही हैं। इन खतरनाक जानवरों के खौफ से महिलायें खेतों में जाने से कतराने लगे हैं। पूर्व में जंगली जानवरों का प्रकोप कम था।
कभी कभार गुलदार पालतू जानवरों पर ही हमला करता था। परंतु पिछले कई सालों से गुलदार के हमले इंसान पर होने लगे हैं। वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाय तो पिछले बीस सालों में कुल 31 लोग जंगली जानवरों के हमले के शिकार हो चुके हैं जिसमें सर्वाधिक हमले गुलदार के हैं। गुलदार जनपद में बीस साल में 18 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है।
गांवों में इस तरह की घटनाओं की जिम्मेदारी से बचने के लिए चाहे कुछ भी कहे परंतु हकीकत यह है कि पहाड़ में गुलदारों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है तथा अन्य वन्य प्राणी जो उनके शिकार हो सकते थे उनकी संख्या इस दर से नहीं बड़े पा रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी पशुपालन व्यवसाय कम हुआ है जिससे गुलदार को मवेशियों का शिकार नहीं मिल पा रहा है तथा गुलदार मानवों पर हमला कर रहे हैं। यदि समय रहते सरकार इस विषय पर गंभीर नहीं हुई तो आने वाले समय में आम आदमी जंगली सुअर, बंदर व गुलदार के आतंक से ग्रस्त हो जाएगा।
बरसात की वजह से जगह जगह झाड़ियां उगी हुई हैं। जिससे प्रकाश की कमी होती है तथा गुलदार आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। जनता को चाहिए कि वह अपने आसपास झाड़ियों की सफाई करें तथा पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था करें।
हिमांशु बागरी, प्रभागीय वनाधिकारी बागेश्वर।