लखनऊ। स्थानीय कलाकार माटी के दीपक और मूर्तियां गढ़ कर चीन में निर्मित डिजायनर दीयों को चुनौती देकर अपनी ही माटी को बढ़ावा देंगे। राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को बताया गया कि 14 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक लखनऊ के गोमतीनगर में स्थित संगीत नाटक अकादमी परिसर में उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड की ओर से ‘माटी कला मेला’ आयोजित होगा।
इसमें सभी प्रमुख जिलों के माटी कलाकार अपने उत्पादों की पूरी रेंज के साथ आएंगे। हर जिले के उत्पादों के डिस्पले के लिए स्टॉल उपलब्ध कराए जाएंगे। इन स्टॉलों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यही नहीं, माटी के फनकारों के रहने का खर्च भी माटी कला बोर्ड ही वहन करेगा।
माटी के फनकारों के इस मेले में विशिष्ट शिल्प व परंपरा के उत्पादों की पूरी रेंज उपलब्ध होगी। इसमें खासकर गोरखपुर के टेरोकोटा, आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी और खुर्जा के मिट्टी के कुकर और कड़ाही के साथ आगरा, लखनऊ, कुशीनगर, मिर्जापुर, चंदौली, उन्नाव, बलिया, कानपुर, पीलीभीत, इलाहाबाद, वाराणसी, बादां और अयोध्या के मिट्टी के बने खास उत्पाद उपब्ध होंगे।
दीवाली के पहले हो रहे इस मेले में स्वाभाविक है कि लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और डिजायनर दीये खास आकर्षण होंगे। वह भी अपनी विशिष्ट शिल्प व परंपरा के अनुसार बने हुए। एक अधिकारी ने बताया कि मेले में इस साल हर जिले में 8 इंच की स्टैंडर्ड साइज के लक्ष्मी-गणेश की मास्टर डाई उपलब्ध कराई गईं हैं।
समूह में इनसे मूर्तियां बनाई जा सकेंगी। साथ ही जरूरत के अनुसार इनसे डुप्लीकेट डाई बनाकर उत्पादन को उसी गुणवत्ता के साथ बढ़ाया जा सकता है। पिछले साल सिर्फ 37 जिलों को ही ये डाइयां उपलब्ध कराई गईं थी।
इस तरह की डाइयां खादी बोर्ड के लखनऊ, मऊ, इलाहाबाद, आजमगढ़, बस्ती,जालौन, नजीमाबाद, मथुरा, शाहजहांपुर और गोरखपुर स्थित प्रशिक्षण केंद्रों को भी उपलब्ध कराई गईं हैं। माटी कला मेले में सिर्फ संबंधित जिले के उत्पादों की भरपूर रेंज ही नहीं होगी, बल्कि किस तरह उनको बनाया जाता है, उसका जीवंत प्रदर्शन भी होगा।
आधुनिक चॉक पर अलग-अलग जिलों के कलाकारों को ऐसा करने का मौका दिया जाएगा। साथ ही तीन दिन तकनीकी सत्र के लिये निर्धारित किये गये हैं। इसमें संबंधित विषय के जाने-माने विशेषज्ञ उत्पाद की गुणवत्ता, पैकेजिंग, विपणन खासकर ई-मार्केटिंग के बारे में जानकारी देंगे।
उन्होंने बताया कि बोर्ड की तरफ से माटी के कलाकारों को प्रशिक्षण दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि बदले वैश्विक परिदृश्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा रही है कि इस बार की दीपावली में कुछ ऐसा किया जाय कि चीन से आयातित लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों और डिजायनर दीयों की बजाय अपने यहां के बने ये उत्पाद ही अधिक से अधिक बिकें।