बागेश्वर। मानसून प्रारंभ होने के साथ ही प्रत्येक क्षेत्र में भूस्खलन को लेकर चिंताएं बढ़ा गई हैं। सरकार और प्रशासन मानसून को लेकर पूरी तैयारी में जुटा हुआ है, लेकिन आपदा की दृष्टि से जोन पांच में आने वाले बागेश्वर के कपकोट क्षेत्र के कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं है। प्रशासन भी मात्र 13 सेटेलाइट फोनों के भरोसे यहां की सूचनाएं मिलने के भरोसे रहता है।
कपकोट को आपदा की दृष्टि से संवेदनशील माना गया है। इन क्षेत्रों में हमेशा आपदा का खतरा रहता है, परंतु बरसात में भूस्खलन से होने वाली आपदा का खतरा बढ़ा जाता है। कपकोट के 45 गांवों में लोगों के लिए मोबाइल फोन पर बात करना सपने जैसा है।
कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हो रही है। ऐसे में संचार सेवा के बाधित होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। एक ओर देश फाइव जी नेटवर्क की तैयारी कर रहा है, वहीं आपदा की दृष्टि से संवेदनशील बागेश्वर के दूरस्थ गांवों में संचार सुविधा का न होना प्रमुख समस्या बनी हुई है।
यहां 45 गांव आज भी पूरे तरीके से संचार सेवा से वंचित हैं। कोई घटना होती है तो इसकी सूचना देने के लिए पहाड़ा पर चढ़ना पड़ता है तब संबंधित को सूचना दी जाती है। इस पर भी बात पूरी हो यह कहा नहीं जा सकता है।
ग्रामीण धर्म सिंह ने बताया कि क्षेत्र को मोबाइल सेवा प्रदान करने के लिए कई बार प्रत्येक जनप्रतिनिधि को अवगत कराया परंतु आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। वर्तमान में इन समस्याओं के बीच जंगल में पहाड़ी चढ़कर जाना पड़ता है। वहां पर नेटवर्क मिलता है।
उन्होंने कहा पंचायत में सभी काम आनलाइन होते हैं, लेकिन हमारे गांव में टावर नहीं होने से कोई काम नहीं होता है साथ ही ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की जानकारी भी गांव के लोगों को उपलब्ध नहीं होती है। इससे ग्रामीण शासन की योजनाओं का ली लाभ नहीं ले पाते हैं।
इधर आपदा काल में नेटवर्क का न होना किसी भयंकर आपदा से कम नहीं है। पिछले मानसून कपकोट के सुमगढ़ा गांव के एक तोक में भारी बरसात एक परिवार के लिए काल बन गयी। बरसात से आए मलबे ने एक मकान में परिवार के साथ सो रहे तीन सदस्यों को मौत की नींद सुला दिया। गांव में फोन नेटवर्क न होने के कारण प्रशासन को इसकी सूचना सुबह ही दी जा सकी।
कई मौकों पर समय से राहत और बचाव कार्य ना मिलने से लोगों की जान जा चुकी है। जनपद के कई क्षेत्र इस समय बारिश-भूस्खलन जैसी आपदाओं से जूझ रहे हैं। आपदा प्रबंधन आपदा के बाद रेस्क्यू आपरेशन तक ही सिमटा है। कई क्षेत्रों में राहत-बचाव टीमें भी समय पर नहीं पहुंच पा रहीं हैं। सूचना समय पर देने के लिए मोबाइल नेटवर्क नहीं है।
भौगोलिक रूप से काफी लंबे क्षेत्र में फैले इन गांवों की सूचनाओं के लिए प्रशासन के पास मात्र तेरह सेटेलाइट फोन हैं, लेकिन ये भी मुसीबत के समय ग्रामीणों के काम कम ही आते हैं। आपदा की स्थिति में सूचना का सही समय पर मिलना सबसे पहला जरूरी स्टेप है।
लेकिन बागेश्वर के सीमांत क्षेत्रों में नेटवर्क की अभी भी बड़ी समस्या है। जब प्रशासन के पास समय पर सूचना ही नहीं पहुंचेगी तो वह समय पर रेस्क्यू कैसे होगा यह सोचनीय विषय है।
कपकोट के दूरस्थ क्षेत्रों के लिये 13 सैटेलाइट फोन दिये गये हैं। आपदा के दौरान यही सेटेलाइट फोन के द्वारा घटना की जानकारी प्रशासन तक पहुंची है। अभी कुछ क्षेत्रों के लिये कुछ और सेटेलाइट फोन की डिमांड शासन से की गई है। टेलीकॉम कंपनियों से एक मीसिंटग रखी गई है। जिससे जनपद के दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क के लिए कुछ समाधान निकलने की उम्मीद है।
रीना जोशी, जिलाधिकारी बागेश्वर।