नई दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स श्रेणी के चौथे पोत ‘दूनागिरी’ को हुगली नदी में जलावतरण किये जाने के समारोह को संबोधित किया।
इस शक्तिशाली युद्धपोत को जल्द ही ‘दूनागिरी’ नाम विरासत में मिलेगा, जो पूर्ववर्ती लिएंडर क्लास के चौथे जहाज का पुनर्जन्म है। अपने पिछले अवतार में आईएनएस दुनागिरी को मई, 1977 में कमीशन किया गया था और अपनी तैंतीस वर्षों की शानदार सेवा के दौरान उसने कई बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लिया और कई अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों पर गर्व से तिरंगा लहराया।
प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाए जा रहे उन्नत स्टील्थ विशेषताओं और स्वदेशी हथियार से लैस जहाज हमारे बेड़े की क्षमता को और बढ़ाएंगे। ये जहाज बहुमुखी और शक्तिशाली प्लेटफॉर्म होंगे और व्यापक राष्ट्रीय दृष्टि का समर्थन करेंगे। साथ ही सभी के लिए सुरक्षित और समृद्ध वैश्विक साझाकरण सुनिश्चित करेंगे। अगली पीढ़ी के चौथे जहाज को तीन साल की अवधि के भीतर लॉन्च करने से युद्धपोतों के निर्माण की क्षमता के मामले में भारत की स्थिति मजबूत हुई है।
उन्होंने कहा कि ‘दूनागिरी’ ने अपने सेवा के अंतिम वर्ष में 154 दिन की यात्रा की और उसे सर्वश्रेष्ठ पोत ट्राफी से सम्मानित किया गया। दूनागिरी नौसेना का वह जहाज था, जिसे मैंने पहली बार 1981 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से नौसेना कैडेट के रूप में रवाना किया था। इसकी कमान कैप्टन आईजेएस खुराना ने संभाली थी, जो बाद में वाइस एडमिरल के रूप में सेवानिवृत्त हुए। 2010 में जहाज की सेवामुक्ति को भारतीय डाक ने जहाज की विशेषता वाले एक विशेष डाक टिकट कवर और जहाज के शिखर की विशेषता वाले एक विशेष रद्दीकरण चिह्न के साथ मनाया था। लगभग पांच दशक बाद नए ‘गिरी’ का शुभारंभ नौसेना के लिए मील का पत्थर है, क्योंकि यह जहाजों के निर्माण में हमारे युग के आने का प्रतीक है।