देहरादून। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा में सफेद गिडार क्षति के लक्षण एवं एकीकृत प्रबंधन रणनीतियों पर एक दिवसीय वर्चुअल ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भाकृअनुप के संस्थानों, राज्य विभागों और उत्तर पूर्वी पर्वतीय राज्यों (मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, असम, अरुणाचलप्रदेश, सिक्किमऔर त्रिपुरा) के 51 से अधिक अधिकारियों ने जूम ऐप के माध्यम से इस प्रशिक्षण कार्य क्रम में भाग लिया।
वैज्ञानिक डॉ. गौरव वर्मा ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और हिमालय में सफेद गिडार की विविधता और उनसे होनेवाले क्षति की संक्षिप्त जानकारी दी।कार्यक्रम का उद्घाटन भाकृअनुप विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान,अल्मोड़ाके निदेशकडॉ. लक्ष्मीकांत द्वारा किया गया।
निदेशक महोदय द्वारा परिचयात्मक टिप्पणी में विभिन्न फसलों में सफेद गिडार का आर्थिक महत्व और इससे होने वाली क्षति पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित सफेद गिडार प्रबंधन की दो आयामी रणनीतियों के बारे में भी बताया। उन्होंने प्रतिभागियों को कीट के प्रकोप के बावजूद बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए प्रबंधन रणनीतियों को अपना ने के बारे में सलाह दी।
कृषि कीट वैज्ञानिक अमित पस्चापुरने सफेदगिडार से क्षति के लक्षण, पोषक विभिन्नता और एकीकृत प्रबंधन रणनीतियों पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया, साथ ही साथ सफेद गिडारका जीवन चक्र क्षति के लक्षण पोषक विभिन्नता और इसके प्रबंधन के लिए उपलब्ध विभिन्न कर्षण, यांत्रिक, जैविक और रासायनिक प्रबंधनर णनीतियों के बारे में बताया। इसके पश्चात् श्री जीवन बीने ‘‘सफेदगिडार के प्रबंधन के लिए कीट रोग कारक का उपयोग‘‘ विषय पर एक व्याख्यान दिया, साथ ही साथ उन्हों ने प्रतिभागियों कोई पीएफ उपयोग के तरीके और सफेद गिडार प्रबंधन के लिए बाजार मेंउ पलब्ध कई वाणिज्यि फॉर्मूलेशन के बारे में जानकारी दी ।
इसके अलावा डॉ. आशीषकुमार सिंह ने ‘‘सफेद गिडार प्रबंधन के लिए कीट रोग कारक सूत्र कृमि की क्षमता का समुप योजन विषय परजानकारी दी। व्याख्यान के बाद, पारस्परिक बातचीत सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सभी प्रश्नों का विशेषज्ञों द्वारा समाधान किया गया ।कार्यक्रम का समापन डॉ. आशीष कुमार सिंह द्वारा निदेशक भाकृअनुप-वि.प.कृ.अ.सं., अल्मोड़ा और सभीगण मान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।