रामनगर । कुमाऊं-गढवाल को भावर से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे पर स्थित धनगढ़ नाले में मंगलवार की सुबह शिक्षकों की कार उफनते नाले में बह गई। हालांकि कार में सवार एक शिक्षक व तीन शिक्षकों ने मौके की नजाकत को भांपते हुए समय रहते कार से कूदकर अपनी जान बचा ली।
जिससे इस बरसाती नाले पर बड़ा हादसा होने से बच गया। बरसाती नाले की वजह से घंटों इस हाईवे पर यातायात जाम रहा। जिसमें दोनों ओर जाने वाले दर्जनों वाहनों के सैंकड़ो यात्री फंसे रहे।
जानकारी के अनुसार पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली बरसात के चलते कुमाऊं और गढ़वाल को भावर क्षेत्र से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 39 पर स्थित धनगढ़ी नाला मंगलवार की सुबह फिर एक बार उफान पर आ गया था।
उफनते नाले ने इस हाइवे पर वाहनों की रफ्तार थाम दी। लेकिन अल्टो कार संख्या यूके 19 ए 3215 सल्ट के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने जा रहे चार शिक्षकों की कार धनगढ़ी के इस नाले को पार करने के प्रयास में नाले के पानी के तेज बहाव में बहने लगी।
कार को बहता देख कार में सवार शिक्षक सुरेश चन्द्र जोशी पुत्र गौरी शंकर जोशी निवासी दुर्गापुरी रामनगर व शिक्षिकाओं देवकी रावत पत्नी गोपाल सिंह रावत निवासी कोटद्वार रोड रामनगर, विमला शर्मा पत्नी नन्दकिशोर शर्मा निवासी टांडा रोड रामनगर तथा आयुषी ग्रोवर पत्नी प्रगट सिंह निवासी गिरीताल काशीपुर ने खतरे को भांपते हुए बिना कोई देर किए कार से बाहर कूद लगा दी।
कार से बाहर निकले इन अध्यापकों को मौके पर मौजूद लोगों और पुलिस के सहयोग से तत्काल ही बरसाती नाले से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। लेकिन इनकी कार पानी के तेज धार में बह गई।
नाले के उफान पर आने की वजह से सुबह से ही इस हाईवे पर यातायात बाधित हो गया। नाले के दोनों तरफ दर्जनों वाहनों में फंसे हुए सैंकड़ो लोग घंटों पानी कम होने का इंतजार करते रहे। बाद में पानी का बहाव कम होने पर प्रशासन की ओर से जेसीबी की मदद से रपटे पर आए पत्थरों को हटाने का काम किया गया। जिसके बाद इस हाईवे पर यातायात सुचारू किया गया।
डेढ़ साल में बनने वाले पुल का अभी तक हुआ है चालीस फीसदी काम
बता दें कि इस नाले में अब तक दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। साल दर साल इस नाले पर होने वाले हादसों को देखते हुए साल 2२0 में यहां पुल निर्माण के कार्य को मंजूरी मिली थी। जिसे 18 महीने के भीतर पूरा किया जाना था, लेकिन आज पुल का कोई अता पता नहीं है।
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के प्रयासों से इस क्षेत्र में दो पुल बनने थे। धनगढ़ी में 7 करोड़ 65 लाख रुपये की लागत से 15 मीटर लंबा और पनोद नाले पर 6 करोड़ 33 लाख की लागत से 9 मीटर लंबा पुल बनना था। 8 नवंबर 2२0 को इन पुलों का काम शुरू होते वक्त डेढ़ साल में इनके बनने का वायदा किया गया था।
लेकिन इस साल के अप्रैल में बनकर तैयार होने वाले इन पुल का मानिटरिंग न होने की वजह से केवल चालीस फीसदी ही काम हुआ है।
आपदा को लेकर सरकार नहीं है गंभीर: रणजीत सिंह रावत
खासे महत्वपूर्ण इन पुलों के निर्माण की सुस्त रफ्तार पर पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत का कहना है कि भाजपा की राज्य सरकार ने पिछले साल चुकुम, सुन्दरखाल कुनखेत तथा नैनीताल जिले में आई हुई आपदा से कुछ नहीं सीखा है। उस आपदा के घाव अभी भी हरे हैं।
प्रभावितों को सहायता के नाम पर बस आश्वासन मिला काम कुछ नहीं हुआ। इसके बाद भी सरकार की तरफ से ऐसे मामलों में लगातार लापरवाही की जा रही है। इस बरसात में प्रशासन किसी अप्रिय घटना के इंतजार में है जिससे उनकी नींद टूटे।
प्रशासन अपने आप स्वत: संज्ञान लेकर अपनी तैयारी या कोई पूर्व इंतजाम नहीं करेगा। पिछले हफ्ते ही ढेला नदी पर लगभग नौ लोगों ने जान गंवा चुके हैं। धनगढ़ी नाले पर भी हर साल जान और माल का नुकसान क्षेत्रवासी तथा बाहर से आते हुए पर्यटकों को सहना पड़ता है।
ऐसे हादसों में जानमाल के नुकसान से क्षेत्र की नेगेटिव मार्केटिंग भी होती है। जिसका दुष्प्रभाव राज्य के पर्यटन पर पड़ता है। किन्तु राज्य सरकार के पास क्षेत्रवासियों के जान माल को बचाने का कोई समाधान नहीं है ना ही बरसात के समय इन दुर्घटनाओं को रोकने का कोई पूर्व इंतजाम।