नैनीताल । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार की ओर से जल विद्युत कंपनियों पर थोपे गए वाटर टैक्स के खिलाफ दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए आगामी छह अगस्त तक सभी जल विद्युत कंपनियों से जवाब पेश करने को कहा है।
इस मामले में छह अगस्त को अगली सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2012 में एक कानून बनाकर जल विद्युत उत्पादट कंपनियों पर वाटर टैक्स थोप दिया था।
जल विद्युत कंपनियों की ओर से सरकार के इस कदम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी एकलपीठ ने सरकार के कदम को सही ठहराते हुए जल विद्युत कम्पनियों की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
एकलपीठ के फैसले के खिलाफ टिहरी जल विद्युत विकास निगम (टीएचडीसी), अलकनन्दा पावर प्रोजेक्ट प्रा. लि, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लि., स्वाति पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लि., भिलंगना जल विद्युत परियोजना, जय प्रकाश पावर वेंचर प्राइवेट लि. आदि ने विशेष अपील दायर कर दी।
आज मैराथन सुनवाई के दौरान सरकार व याचिकाकर्ताओं की ओर से बाहर से आये अधिवक्ताओं की ओर से पैरवी की गयी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि यह मामला केन्द्र सरकार के दायरे में आता और राज्य सरकार को इस मामले में कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
मामले को सुनने के बाद अदालत ने सभी जल विद्युत कंपनियों को निर्देश दिए कि वह बतायें कि उन्होंने जनता से कोई वाटर टैक्स की वसूली की है या नहीं? यदि हां तो कितनी वसूली की है? इस मामले में अब छह अगस्त को सुनवाई होगी।