लखनऊ।विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर सीएम योगी ने राजधानी लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने जागरूकता रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया।
मुख्यमंत्री ने आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में व्यापक जागरूकता कार्यक्रम विगत 05 दशकों से चल रहे हैं, इसके अच्छे परिणाम मिले हैं।
एक निश्चित जनसंख्या वृद्धि दर का होना उपलब्धि है। विशाल जनसंख्या एक संसाधन भी है लेकिन यह उपलब्धि तभी है, जब लोग स्वस्थ हों, आरोग्य हों। जहां चिकित्सकीय संसाधनों का अभाव हो, बीमारियां हों, वहां जनसंख्या की अबाध बढ़ोतरी बड़ी चुनौती है।
विश्व जनसंख्या दिवस इसी चुनौती का अनुभव कराता है। विश्व में मानव की आबादी को 100 करोड़ तक होने में लाखों वर्ष लगे, लेकिन 100 से 500 करोड़ होने में 183, 185 वर्ष ही लगे। इस वर्ष के अंत तक विश्व की आबादी 800 करोड़ होने की सम्भावना है।
आज का भारत 135-140 करोड़ जनसंख्या का देश है। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक आबादी का राज्य है। यहां 24 करोड़ की आबादी है, जो कुछ ही समय में 25 करोड़ की संख्या को पार कर जाएगी। यह स्पीड एक चुनौती है। हमें इसके नियंत्रण के लिए प्रयास करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण में जागरूकता का सबसे अधिक महत्व है। यह जागरूकता केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी ही नहीं है। नगर विकास, ग्राम्य विकास, शिक्षा आदि विभागों को भी इससे जुड़ना होगा।
जब बात परिवार नियोजन, जनसंख्या स्थिरीकरण की हो तो हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफलतापूर्वक जरूर हों, लेकिन कहीं भी जनसांख्यिकीय असंतुलन की स्थिति न पैदा होने पाए।
ऐसा न हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ने की स्पीड, उनका प्रतिशत ज्यादा हो और जो मूल निवासी हों उन लोगों की आबादी को जागरूकता और इंफोर्समेण्ट से नियंत्रित कर दिया जाए। यह एक चिन्ता का विषय है हर उस देश के लिए जहां पर जनसांख्यिकीय असंतुलन की स्थिति पैदा होती है।
रिलिजियस डेमोग्राफी पर इसका विपरीत असर पड़ता है। एक समय के बाद अव्यवस्था, अराजकता जन्म लेने लगती है इसलिए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों में जाति, मत, मजहब, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर समान रूप से जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम से जोड़े जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने बीते 05 वर्ष में बेहतरीन परिणाम दिए हैं। मैटरनल एनीमिया 51.1 प्रतिशत से घटकर 45.9 प्रतिशत रह गया है। 05 वर्ष में फुल इम्युनाइजेशन 51.1 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है। संस्थागत प्रसव की दर जो पहले 67-68 प्रतिशत थी, वह आज 84 प्रतिशत की ओर जा रहा है।