उच्च न्यायालय ने निर्माण कार्य रोकेने के मामले में तहसीलदार को किया तलब

नैनीताल । उत्तराखंड उच्च न्यायालय में बुधवार को एक अजीबोगरीब मामला सामने आया। सरकार की ओर से सरकारी भूमि पर बनाये जा रहे करोड़ों के वृद्धावस्था आश्रम के निर्माण में बाधा पहुंचायी जा रही है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली पीठ ने इसे गंभीरता से लिया और ऋषिकेश के तहसीलदार को अदालत में तलब कर दिया है।

मामला ऋषिकेश के रायवाला गांव का है। प्रकरण को रायवाला के ग्राम प्रधान सागर गिरी की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार की ओर से गंगा नदी के किनारे पांच करोड़ की लागत से सरकारी जमीन पर एक वृद्धावस्था आश्रम का निर्माण किया जा रहा है।

बकायदा सरकार की ओर से इसके लिये प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गयी है। समाज कल्याण विभाग की ओर से आश्रम के निर्माण के लिये 1.36 करोड़ रूपये भी जारी कर दिया गया है लेकिन अब सरकारी अधिकारी ही निर्माण कार्य में बाधा पहुंचा रहे हैं।

वे बार-बार आकर निर्माण कार्य रोक दे रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अप्रैल में पहले पुलिस की ओर से व मई में ऋषिकेश के तहसीलदार ने खुद मौके पर आकर बिना उचित आदेश के काम रोक दिया। सरकारी निर्माण एजेंसी की ओर से इस मामले की शिकायत समाज कल्याण विभाग को की गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।

अदालत ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया और सरकार को निर्देश दिये कि वह सुनिश्चित करे कि आश्रम के निर्माण कार्य में कोई बाधा नहीं पहुंचे और साथ ही ऋषिकेश के तहसीलदार को आगामी चार अगस्त को अदालत में हाजिर होने का फरमान जारी कर दिया।

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