नयी दिल्ली। सहकारिता एवं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से देश में एक टिकाऊ आर्थिक मॉडल के माध्यम से 70 करोड़ आकांक्षी लोगों को आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनाया जा सकता है। शाह ने 100वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर सहकारिता विभाग और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व में विकास के साम्यवादी और पूंजीवादी दो मॉडल थे, जिससे असंतुलित विकास हुआ।
सहकारिता मध्यम मार्ग है जिससे सर्वसमावेशी विकास हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश के 70 करोड़ गरीब लोगों को सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि 70 करोड़ गरीब लोगों के पास घर और शौचालय की सुविधा नहीं थी। बिजली और स्वास्थ्य बीमा नहीं था और नहीं खाना पकाने की गैस की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। ऐसे लोग सपने नहीं देख सकते।
मोदी सरकार के दौरान लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया गया है और उनकी आकांक्षाएं बढ़ी हैं। ऐसे लोगों को सहकारिता के माध्यम से आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। श्री शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र आगे बढ़े, सरकार उसे सहयोग करने को तैयार है।
सहकारिता को सरकार से मांगने की जरूरत नहीं है, बल्कि सरकार सहकारिता को समृद्ध बनायेगी। उन्होंने सहकारिता की खामियों की चर्चा करते हुए कहा कि केवल कानून बनाने से कोई सुधार नहीं हो सकता है, बल्कि सहकारी समितियों को अपने आप पर नियंत्रण करना होगा।
उन्होंने देश में सहकारिता की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि 51 प्रतिशत गांवों में सहकारी समितियां हैं और इसके माध्यम से 19 प्रतिशत कृषि वितरण तथा 35 प्रतिशत उर्वरक वितरण होता है। सहकारी क्षेत्र में 25 उर्वरक तथा 31 प्रतिशत चीनी का उत्पादन होता है।
इसी तरह से 10 प्रतिशत दूध, 13 प्रतिशत गेहूं तथा 20 प्रतिशत धान की खरीद सहकारिता के माध्यम की जाती है। देश में 21 प्रतिशत मत्स्य उत्पादन सहकारी समितियों के माध्यम से होता है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सहकारिता की स्थिति संतोषजनक नहीं है, इसे विकास से जोड़ना है। श्री शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में सुधार के लिए राज्यों में मॉडल बायलाज भेजा गया है, जिसमें उनसे सुझाव मांगे गये हैं।
उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र से देश में बीज सुधार कार्यक्रम चलाया जायेगा और इसके लिए उर्वरक क्षेत्र की कम्पनी इफको और कृभको को जमीन आवंटित की जायेगी। उन्नत बीज के माध्यम से फसलों का उत्पादन 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसी प्रकार से जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण का कार्य जिला स्तर पर अमूल के माध्यम से किया जायेगा।