2022 केदारनाथ यात्रा: भ्रष्टाचार के पीछे जिम्मेदार कौन

रुद्रप्रयाग। वर्ष 2022 की केदारनाथ यात्रा में भले ही रिकार्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं, लेकिन इस बार की यात्रा विवादों में घिरती भी नजर आ रही है।

केदारनाथ पैदल मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों पर गद्दी लगाने के नाम पर घोड़ा-खच्चर संचालकों से पैसे मांगने सहित सोनप्रयाग पार्किंग में अवैध रूप से बिस्तर यात्रियों को किराये पर देने के अलावा केदारनाथ हाईवे किनारे वाहन रोककर उनसे मनमानी धनराशि पार्किंग शुल्क के रूप में वसूले जाने आदि के मामले सामने आये हैं।

अधिकांश मामलों में जिला पंचायत और प्रशासन का हस्तक्षेप है। ऐसे में कही न कही सवाल उठने लाजमी हैं।विश्व विख्यात केदारनाथ धाम की यात्रा पर रिकॉर्ड संख्या में तीर्थ यात्री पहुंच रहे हैं। दो माह से कम समय में भी आठ लाख यात्री बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं, लेकिन इस सबके बीच यात्रा शुरुआती चरण से ही विवादों में घिरती नजर आ रही है।

इस बार सबसे बड़ा मुददा केदारनाथ धाम के लिये गौरीकुंड से संचालित होने वाले घोड़ा-खच्चरों से उठा है। शुरूआती चरण में गौरीकुंड से धाम के लिये आठ हजार से अधिक घोडे़-खच्चरों का संचालन हो रहा था। इस बीच जिला पंचायत, प्रशासन और केदारनाथ तीर्थ यात्री सेवा समिति के बीच एक समझौता हुआ।

समझौते के अनुसार प्रत्येक घोड़े-खच्चर पर एक गद्दी लगाई जानी थी, जिससे यात्रियों को बैठने में आराम मिले। समिति ने गदिदयां मंगवाई, लेकिन मामला तब बढ़ गया, जब प्रत्येक घोड़े-खच्चर से गद्दी के नाम पर प्रत्येक दिन चालीस रुपये वसूले जाने लगे।

यह चालीस रुपये केदारनाथ से आने-जाने वाले प्रत्येक घोड़े-खच्चर संचालक से लिये जा रहे थे। चालीस रुपये में 10 रूपये जिला पंचायत, पांच रुपये प्रशासन और 25 रुपये समिति को जा रहे थे, लेकिन मामला सोशल मीडिया में उठने के बाद घोड़े-खच्चरों से पैसा लिया जाना बंद कर दिया गया।

अब सवाल यह उठता है कि अगर गद्दी के पैसे सही रूप से लिये जा रहे थे तो फिर मामला उठने के बाद गद्दी के पैसे लिये जाना क्यों बंद किया गया। इसके अलावा यात्रा के शुरूआती चरण में प्रत्येक दिन हजारों वाहन केदारघाटी में आ रहे थे। सोनप्रयाग और सीतापुर की पार्किंग भी फुल थी।

ऐसे में वाहनों को पार्क करने के लिये केदारनाथ हाईवे किनारे चौड़े स्थानों को चिन्हित किया गया। इसके लिये जिला पंचायत ने टेंडर भी निकाले, लेकिन बात तब बढ़ गई जब हाईवे किनारे पार्क किये गये वाहनों से पचास रूपये पार्किंग शुल्क लिये जाने के बजाय दो सौ रुपये से अधिक का शुल्क लिया गया। यहां भी मामला उठने के बाद इस टेंडर को निरस्त किया गया।
सोनप्रयाग पार्किंग का जिला पंचायत रुद्रप्रयाग ने टेंडर निकाला था। इस टेंडर को एक ठेकेदार ने लगभग 8८ लाख की लागत से खरीदा था। जीएसटी लगाकर ठेकेदार को एक करोड़ चार लाख का भुगतान करना है। सोनप्रयाग पार्किंग का निर्माण कार्य अभी चल रहा है। पार्किंग के ऊपर हाल बने हुये हैं।

इन हालों में दुकान, टिकट काउंटर आदि का संचालन आगामी वर्षों से होना है, लेकिन इस बार एक जनप्रतिनिधि ने इन हॉलों में बिस्तर लगा दिये और यात्रियों को सुला दिया। जिस कारण सोनप्रयाग के व्यापारी भडक़ गये और व्यापारियों ने एक दिन सोनप्रयाग बाजार बंद भी कर दिया।

पार्किंग के जिन हॉल में बिस्तर लगाये गये थे, वह हॉल अभी प्रशासन के अधीन भी नहीं हुए हैं। ऐसे में अपनी मर्जी से बिस्तर लगाकर यात्रियों का सुलाना गलत था। यह मामला भी जब सोशल मीडिया के जरिये सामने आया और व्यापारियों ने हल्ला किया तो फिर बिस्तर लगाना बंद किया गया।
कुल मिलाकर देखा जाय तो शुरुआती चरण में ही केदार यात्रा विवादों से घिरती नजर आ रही है। ये तीन मामले ऐसे हैं, जिन्होंने प्रशासन व जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हैं। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के अनुसार गद्दी वाले मामले की जांच हो गई है। खैर जांचे होती रहती हैं और आगे भी होती रहेगी, लेकिन यात्रा के नाम पर किये जा रहे भ्रष्टाचार के पीछे आखिर जिम्मेदार कौन है। यह जिले की जनता के मन में सवाल बना हुआ है।

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