नैनीताल। राजधानी देहरादून के जोगीवाला-सहस्रधारा सड़क के चौड़ीकरण में बाधा बने 1700 पेड़ों का मामला सुलझ गया है। सरकार की ओर से लगभग 700 पेड़ों को अन्यत्र लगाया (ट्रांसप्लांट) जायेगा। इसी के साथ उच्च न्यायालय ने सड़क के चौड़ीकरण को हरी झंडी दे दी है।
देहरादून के आशीष कुमार गर्ग की ओर से दायर जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में सुनवाई हुई। सरकार की ओर से कहा गया कि मंसूरी बाईपास रोड पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
यह सड़क पर्यटक शहर मंसूरी को जोड़ती है। सड़क के चौड़ीकरण में 1700 पेड़ आड़े आ रहे हैं। इनमें 1006 पेड़ यूकेलिप्टस, 465 पेड़ आरक्षित प्रजाति और बाकी अन्य सामान्य प्रजाति के हैं। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि आरक्षित प्रजाति के 465 पेड़ों को अन्य जगह स्थानांतरित करने की योजना है।
बाकी शेष पेड़ों का कटान एवं पातन किया जायेगा। याचिकाकर्ता की ओर से इसका विरोध किया गया लेकिन अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील को नहीं सुना। लंबी बहस के बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि यूकेलिप्टस के पेड़ों के अलावा सभी पेड़ों को स्थानांतरित किया जाये।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के ऋषिकेश के अधिशासी अभियंता वीरेन्द्र कुमार व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए और उन्होंने सभी पेड़ों के स्थानांतरित की स्वीकारोक्ति दी।
अदालत ने उनके बयान को रिकार्ड में लेते हुए सड़क चौड़ीकरण के काम को हरी झंडी दे दी।साथ ही पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिये कि सड़क के दोनों ओर पेड़ भी लगायें और पांच साल तक उनकी देखरेख एवं रखरखाव की जिम्मेदारी भी पीडब्ल्यूडी स्वयं करेगा।