अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तराखंड का कुमाऊं मंडल योगमय हो गया

नैनीताल। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस  पर उत्तराखंड का कुमाऊं मंडल आज योगमय हो गया। भारत और नेपाल मित्र राष्ट्रों ने भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर अभूतपूर्व मित्रता का परिचय देते हुए धारचूला और झूलाघाट में संयुक्त रूप से योग किया।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर सबसे अच्छी खबर सीमांत पिथौरागढ़ से आयी। यहां भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सेना के हिमवीरों ने 6191 मीटर की ऊंचाई पर तिब्बत-नेपाल सीमा से सटे ओमपर्वत पर योग दिवस मनाया और बर्फ के बीच यौगिक क्रियायें कीं।

उच्च हिमालयी क्षेत्र खलिया टॉप पर भी मुनस्यारी के ग्रामीणों ने नोडल अधिकारी डॉ. पुष्कर सिंह जंगपांगी की अगुवाई में कड़ाके की ठंड के बीच योग दिवस मनाया। यही नहीं चीन सीमा से सटे दारमा घाटी के अंतिम गांव दातू में ग्रामीण योग दिवस मनाने के लिये आगे आये और उन्होंने सीमांत गावं में योग को गुंजायमान किया।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर सबसे खास बात यह रही कि नेपाल और भारत के अधिकारियों एवं ग्रामीणों ने एक साथ भारत-नेपाल मित्रता को चरितार्थ करते हुए धारचूला तथा झूलाघाट में संयुक्त रूप से योग दिवस मनाया।

यह पहली बार है कि भारत व नेपाल के अधिकारियों, कर्मचारियों व स्थानीय लोगों ने योग दिवस के मौके पर अभूतपूर्व मित्रता का परिचय देते हुए दुनिया को योग से अहसास कराया।

जिला नोडल अधिकारी एवं जिला आयुष व यूनानी अधिाकरी चंद्रकला भैंसोडा ने बताया कि धारचूला में नेपाल के सहायक मुख्य विकास अधिकारी और अन्य दस अधिकारियों की ओर से योग में प्रतिभाग किया गया जबकि झूलाघाट में नेपाल और भारत के ग्रामीणों की ओर से संयुक्त रूप से योग दिवस मनाया गया और यौगिक क्रियायें की गयीं।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के निर्देश पर थल में भी नमामि गंगे योजना के तहत शिव मंदिर में योग दिवस मनाया गया। सुश्री भैंसोड़ा ने बताया कि जिलाधिकारी डॉ. चौहान के निर्देश पर पिथौरागढ़ जनपद में 75 ऐतिहासिक स्थलों पर अभूतपूर्व ढंग से योग दिवस मनाया गया।

इसी प्रकार अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर व नैनीताल, उधमसिंह नगर जनपदों में भी योग की धूम रही। यहां जिला और पुलिस प्रशासन के सहयोग से लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया।

नैनीताल जनपद मुख्यालय में केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी बघेल की मौजूदगी में प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत पहाड़ियों और मनोरम दृश्यों के बीच ओम की गूंज सुनायी दी। तराई के मैदानों में भी पौ फटते ही लोग विभिन्न जगहों में एकत्र हुए और ओम की गूंज सुनायी दी।

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