नयी दिल्ली। प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन को दस देशों से बड़ी कूटनीतिक हार झेलनी पड़ी है। दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र के इन द्वीपीय देशों ने चीन के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा समझौता करने से इनकार कर दिया है।
चीन के विदेश मंत्री वाग यी के साथ फिजी में हुई प्रशांत महासागर क्षेत्र के इन दस देशों की बातचीत में चीन ने इन देशों के समक्ष क्षेत्रीय सुरक्षा समझौता करने का प्रस्ताव रखा, जिसे इन देशों द्वारा खारिज कर दिया गया। दरअसल, चीन दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रभाव को चुनौती देकर अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीन द्वारा प्रस्तावित इस समझौते के अंतर्गत साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के साथ राजनीतिक संबंधों के विस्तार की बात कही गयी थी। साथ ही जल व जमीन पर प्राकृतिक संसाधनों के नियोजन की भी बात इस समझौते में प्रस्तावित थी।
चीन ने इस समझौते के बदले में इन देशों को भारी आर्थिक मदद का लालच देने के अलावा चीन के 140 करोड़ लोगों के बाजार तक पहुंचने का लालच भी दिया था। इसके बावजूद ये देश राजी नहीं हुए। इन देशों ने क्षेत्रीय सहमति न बन पाने का तर्क देकर चीन के इस प्रस्ताव पर असहमति जताई।
चीनी विदेश मंत्री के साथ बैठक के बाद फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बीनीमारामा ने साफ कहा कि हम सभी देश सबसे पहले आम सहमति को महत्व देते हैं।
पापुआ न्यू गिनी, समोआ और माइक्रोनेशिया भी इस समझौते को लेकर चिंतित थे। माइक्रोनेशिया के राष्ट्रपति डेविड पैनुएलो ने तो सभी सहयोगी देशों के नेताओं को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव के छलावा होने की चेतावनी भी दी थी। उन्होंने कहा था कि इस प्रस्ताव के जरिये चीन इन देशों की सरकारों को प्रभावित करने और प्रमुख उद्योगों पर आर्थिक नियंत्रण की कोशिश करेगा। पापुआ न्यू गिनी के विदेश मंत्री सोरोई ईओ ने कहा कि वे इस समझौते के स्थान पर चीन के साथ अपने सुरक्षा मुद्दों से निपटना चाहते हैं।