छोटा कैलाश यात्रा निजी हाथों को सौंपने की उच्चस्तरीय जांच हो: यशपाल

प्रति यात्री निगम को हो रहा है 43 हजार से ज्यादा का नुकसान, बगैर निविदा के कैसे कर ली कंपनी चयनित

  • संसाधन निगम के और कंपनी को मालामाल करने में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल
हल्द्वानी । नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य ने छोटा कैलाश की यात्रा प्राइवेट हाथों में सौंपने के मामले की उच्चस्तरीय जांच की मां की है।
उन्होंने सवाल किया है कि पिछले तीन दशक से सुचारू यात्रा संचालन के बावजूद सरकार ने बिना निविदा के निजी हाथों को यात्रा क्यों सौंपी  उन्होंने यह भी सवाल किया है कि अगर सरकार को निजी फर्म का कार्य देना ही था तो खुली निविदा क्यों नहीं आमंत्रित की गयी  उन्होंने कहा कि छोटा कैलाश की यात्रा निजी हाथों को सौंपने के पीछे बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और सरकार की मिलीभगत दिख रही है। उन्होंने सीएम से यात्रा निजी हाथों को सौंपने का फैसला रद्द करने की भी मांग की है। 
शुक्रवार को यहां जारी एक बयान में उन्होंने बताया कि कोरोना काल को छोडक़र 1981 से कुंविनि विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा संचालित करता रहा है।
इस यात्रा के दौरान यात्रियों के आने जाने के दिनों में भारी गैप के दिनों का सदुपयोग कर निगम ने 1994 से आदि कैलास यात्रा शुरू की। यह यात्रा काफी लाभकारी रही। शुरुआत के प्रतिकूल हालात में यात्रा संचालित कर निगम ने यात्रा मार्ग में लगभग एक दर्जन टीआरसी तथा कैंप स्थापित किए।
प्रतिकूल मौसम के बावजूद यहां दर्जनों निगम कर्मियों को तैनात किया गया। 
उन्होंने कहा कि चूंकि यह यात्रा ग्रामीणों के स्वरोजगार से भी जुड़ी है। पलायन के दौर में नेपाल तिब्बत सीमा की इस यात्रा से निगम की विशिष्ट पहचान भी बनी हैं।
पहले यह यात्रा का बड़ा भू-भाग पैदल कवर किया जाता था। लेकिन अब समूचे यात्रा मार्ग में सड़क पहुंच गई है। इससे निगम को यात्रा संचालन से बेहतर लाभ मिलता। 
उन्होंने कहा कि इस बीच राज्य सरकार ने बगैर निविदा के आठ वर्षों के लिए निजी कम्पनी डिवाइन मंत्रा एजेंसी से छोटा कैलाश यात्रा का करार कर लिया है।  
अब यह एंजेसी दशकों से बनाई गई निगम की सुविधा का सदुपयोग तो करेगा, और यात्रा स्वयं संचालित करेगा। इस यात्रा में एजेंसी एक यात्री से 56 हजार रुपये के टिकट लेगा और निगम को केवल 12 हजार 400 रुपये देगाी। प्रति यात्री निगम को तैतालीस हजार छह सौ का नुकसान होगा। इससे यह करार कई तरह के सवालों को पैदा कर रहा है। 
  श्री आर्य का कहना है कि इस समय पर्यटन गतिविधियों को और मजबूत करने की जरूरत थी। निगम यह जिम्मेदारी उठाने से कर्मचारियों और निगम के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है।
तीन दशकों से यात्रा सुचारू रूप से संचालित होने के बावजूद आखिर ऐसा क्या कारण है कि सरकार ने बिना निविदा के निजी हाथों में काम सौंप दिया  अगर सरकार को निजी फर्म को कार्य देना ही था तो खुली निविदा क्यों नहीं आमंत्रित की गयी उन्होंने कहा कि इसमें भारी भ्रष्टाचार दिख रहा है। उन्होंने सीएम से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

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