बेंगलुरु । कर्नाटक में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए राज्य सरकार के धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षण (निषेध) विधेयक को राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मंगलवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इस विधेयक में जबरन धर्मांतरण के दोषियों के लिए 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
दिसंबर 2021 में विधानमंडल के सत्र में रूपांतरण विधेयक को विधानमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। विधेयक को हालांकि, विधानसभा में पेश नहीं किया जा सका। इसके बाद गत 12 मई को कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश द्वारा धर्मांतरण पर रोक को उसी प्रारूप में लागू करने का निर्णय लिया गया, जिस प्रारूप में विधायिका ने मंजूरी दी थी।
इस अध्यादेश में विभिन्न बिंदुओं पर धर्मांतरण के दोषियों को सजा का प्रावधान किया गया है। पर धर्मांतरण के दोषियों को अधिकतम दस साल तक के कारावास की सजा के प्रावधान की काफी चर्चा हो रही है।