साढ़े चार हजार पन्नों की रिपोर्ट पर शपथ पत्र देना असंभव: सरकार

इस रिपोर्ट में राज्य भर के सभी अस्पतालों में मौजूद और गैर मौजूद सुविधाओं का है विवरण

नैनीताल । उत्तराखंड में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सरकार खुद अपनी ही रिपोर्ट पर उच्च न्यायालय में शपथपत्र देने से हाथ खड़े कर रही है। यह रिपोर्ट साढ़े चार हजार पेज की है। इसमें अस्पतालों की दुर्दशा को रेखांकित किया गया है।

नैनीताल उच्च न्यायालय ने सरकार को रिपोर्ट की एक प्रति याचिकाकर्ता को देने के साथ ही अगली सुनवाई 15 जून को नियत कर दी है।बृहस्पतिवार को सुनवाई के समय राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने कहा कि राज्य के बदहाल अस्पतालों की स्थिति पर साढ़े चार हजार पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गई है।

इसका शपथ पत्र फाइल करना संभव नही है। इसकी सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खंडपीठ में चल रही है।

गौरतलब है कि टिहरी निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने 2013 में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थीं। इसमें जनपद टिहरी के अस्पतालों में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा की बात की गई थीं।

न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सरकार को राज्य भर के अस्पतालों का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। इस रिपोर्ट में अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद सुविधाओं और गैर मौजूद सुविधाओं को शामिल करना था।

सरकार का दावा है कि प्रदेश भर में सर्वे के बाद 4500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार कर ली है। पूर्व सुनवाई पर न्यायालय ने इस पर शपथ पत्र पेश करने को कहा तो राज्य सरकार ने इस पर हाथ खड़े कर दिए हैं।

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