नयी दिल्ली। निजी विद्यालयों पर दिल्ली सरकार ने शिकंजा कस दिया है। सरकार ने अभिभावकों को स्कूल के भीतर बने दुकानों से पोषाक और शैक्षिक सामग्री खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेगा।
सरकार ने कहा कि इस आदेश का पालन न करने पर अधिकारियों की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में कहा कि निजी विद्यालय ट्रस्टों/सोसाइटियों द्वारा चलाए जाते हैं और उनके पास लाभ और व्यावसायीकरण की कोई गुंजाइश नहीं है।
सरकारी आदेश में आगे कहा गया है कि विद्यालय आगामी सत्र में शुरू की जाने वाली किताबों/लेखन सामग्री की कक्षावार सूची नियमानुसार विद्यालय की वेबसाइट पर पहले से ही प्रदर्शित करेंगे और अन्य मीडिया के माध्यम से माता-पिता को स्पष्ट रूप से सूचित किया जाएगा।
सरकारी आदेश में कहा गया, “इसके अलावा विद्यालय को स्कूल के नजदीक कम से कम पांच दुकानों के पते और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करना होगा, जहां छात्रों के लिए किताबें और वर्दी उपलब्ध कराई जाएगी।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ताजा निर्देश उन अभिभावकों के लिए राहत की सांस लेकर आएंगे, जो निजी स्कूलों में किताबों और पोषाकों के लिए भारी रकम चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, दो साल पहले कोविड -19 महामारी की चपेट में आने के बाद से कई परिवारों ने अपनी आय का स्रोत खो दिया है, जिससे उनके लिए विशिष्ट दुकानों से महंगी किताबें और वर्दी खरीदना मुश्किल हो गया है। यह आदेश माता-पिता को उनके बच्चों के लिए उनकी सुविधा के अनुसार शहर में कहीं से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने की आजादी देगा।
सिसोदिया ने यह भी कहा कि शिक्षा का मुख्य उदेश्य देश का भविष्य संवारना होना चाहिए, न कि पैसा कमाना। उन्होंने कहा, स्कूलों को यह पता होना चाहिए कि वे सरकार की सख्त निगरानी में हैं और उन्हें मनमाने ढंग से माता-पिता से किताबों और वर्दी के लिए शुल्क लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।