कोरोना में मां-बाप को खोने वाले बच्चों के लिए नियमों में ढील
सभी जिलाधिकारियों को जरूरी कार्यवाही के लिए भेजा गया पत्र
देहरादून । सरकार ने कोरोना में मां-बाप को खोने वाले अनाथ हुए बच्चों के लिए नियमों में ढील देने का निर्णय लिया है। ताकि कोरोना महामारी के दौरान माता, पिता तथा संरक्षक को खो चुके हर बच्चे को निर्धारित मानकों के तहत मुआवजा मिल सके।
दरअसल प्रदेश में कई ऐसे बच्चे हैं जिनके माता,पिता तथा संरक्षक की मृत्यु कोरोना महामारी के दौरान हो गई है लेकिन चिकित्सकीय साक्ष्य नहीं होने की वजह से इस श्रेणी में शामिल बच्चों को अब तक सरकार की ओर से आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है।
अब ऐसे बच्चों के लिए सरकार ने मानकों में ढील दे दिया है। इस क्रम में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास के सचिव हरि चंद्र सेमवाल की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। नए आदेश के मुताबिक अब लाभार्थी आगामी 3१मई तक मुआवजा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
लेकिन उन्हें आवेदन के साथ माता,पिता तथा संरक्षक का यदि कोई चिकित्सा प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है तो वे मृतक का पहले बीमारी के दौरान जहां -जहां उपचार हुआ है वे आवेदन के साथ इसका शपथ पत्र जिला स्तरीय समिति को भेज सकते हैं। इसके अलावा जिस अस्पताल में मृतक का इलाज कराया गया है उसका भी साक्ष्य के साथ शपथ पत्र जमा किया जा सकता है।
केवल इतना ही नहीं यदि माता, पिता तथा संरक्षक की मृत्यु घर पर हुई है तो भी जहां पहले इलाज कराया गया है वहां से जुड़ा किसी भी साक्ष्य को शपथ पत्र में शामिल किया जा सकता है।
इसके इतर माता,पिता एवं संरक्षक की मृत्यु ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है तो ग्राम प्रधान और यदि शहरी क्षेत्रों में हुई है तो क्षेत्रीय पार्षद से मृत्यु के कारणों का सत्यापन कराते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र को आवेदन के साथ संलग्न किया जा सकता है ,जो पूरी तरह से मान्य होगा। इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के लिए पत्र भी भेजा जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि अब तक कोरोना महामारी के दौरान कुल 4057 बच्चे अनाथ हुए हैं। लेकिन प्रदेश में कुछ ऐसे भी बच्चे हैं उनके अभिभावकों की मौत तो हो गई है लेकिन चिकित्सा प्रमाण पत्र नहीं होने की वजह से बच्चों को आर्थिक मदद नहीं मिली है।
ऐसे बच्चों के लिए इस तरह की पहल की गई है ताकि कोई भी अनाथ बच्चा किसी कारण से मुआवजा से वंचित है तो उसे मुआवजे के दायरे में तत्काल प्रभाव से लाया जा सके।