डिजिटल अर्थव्यवस्था से देश में एक संस्कृति भी पैदा हो रहा हैः प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में  कहा‘‘ पिछले कुछ सालों में भीम यूपीआई तेजी से हमारी अर्थव्यवस्था और आदतों का हिस्सा बन गया है। अब तो छोटे-छोटे शहरों में और ज्यादातर गांवों में भी लोग यूपीआई से ही लेन-देन कर रहे हैं।

डिजिटल अर्थव्यवस्था से देश में एक संस्कृति भी पैदा हो रहा है। गली-नुक्कड़ की छोटी-छोटी दुकानों में डिजिटल लेनदेन होने से उन्हें ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को सेवा देना आसान हो गया है। उन्हें अब खुले पैसों की भी दिक्कत नहीं होती। आप भी यूपीआई की सुविधा को रोज़मर्रा के जीवन में महसूस करते होंगे।

उन्होंने कहा कि कहीं भी गए, नकद ले जाने का, बैंक जाने का, एटीएम खोजने का, झंझट ही खत्म। मोबाइल से ही सारे पेमेंट हो जाते हैं, लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आपके इन छोटे-छोटे आनलाइन लेनदेन से देश में कितनी बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था तैयार हुई है।

इस समय हमारे देश में करीब 20 हज़ार करोड़ रुपए के लेनदेन हर दिन हो रहे हैं। पिछले मार्च के महीने में तो यूपीआई लेनदेन करीब 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इससे देश में सुविधा भी बढ़ रही है और ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या आप सोच सकते हैं कि कोई अपने घर से ये संकल्प लेकर निकले कि वो आज दिन भर, पूरा शहर घूमेगा और एक भी पैसे का लेन-देन नकÞद में नहीं करेगा, है ना ये दिलचस्प संकल्प।

दिल्ली की दो बेटियाँ, सागरिका और प्रेक्षा ने ऐसे ही कैशलेस डे आउट का प्रयोग किया। सागरिका और प्रेक्षा दिल्ली में जहाँ भी गईं, उन्हें डिजिटल पेमेंट की सुविधा उपलब्ध हो गयी।

यहाँ तक कि स्ट्रीट फूड और रेहड़ी-पटरी की दुकानों पर भी ज्यादातर जगह उन्हें आनलाइन लेनदेन की सुविधा मिली। उन्होंने कहा कि जिन जगहों पर कुछ साल पहले तक इंटरनेट की अच्छी सुविधा भी नहीं थी, वहां भी अब यूपीआई से पेमेंट की सुविधा मौजूद है।

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