देहरादून । उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार को प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ने का आरोप लगाते हुये राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह को एक ज्ञापन सौंपा।
प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के संयुक्त नेतृत्व में दिये इस ज्ञापन में राज्य की बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था, महिलाओं, नाबालिग बच्चियों के विरूद्ध हो रही हिंसा, बलात्कार व जघन्य हत्याओं की घटनाओं को लेकर चिंता प्रकट करते हुए हस्तक्षेप का आग्रह किया।
कॉन्ग्रेस प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि भ्रष्टाचार और भयमुक्त सरकार के अपने वायदे पर अमल करने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। राज्य सरकार के मात्र एक माह के अल्प कार्यकाल में राज्य में हत्या, चोरी, डकैती, मासूमों से बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है।
कांग्रेस नेताओं ने ज्ञापन में राज्य में विगत एक माह के अन्तर्गत घटित जघन्य अपराधों से सम्बन्धित विभिन्न घटनाओं 27 मार्च, 2022 को जनपद बागेश्वर के कपकोट में 12 साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के प्रयास की घटना, 02 अप्रैल को जनपद उधमसिंहनगर के काशीपुर में नाबालिग से दुष्कर्म के प्रयास की घटना, 05 अप्रैल, को गदरपुर में युवक की गोली मार कर हत्या, 02 अप्रैल को जनपद चमोली के थराली में नाबालिग से छेडछाड की घटना, 13 अप्रैल को जनपद पिथौरागढ़ के झूलाघाट में हत्या की घटना, 14 अप्रैल को देहरादून के जाखन स्थित लॉज में महिला की हत्या, 14 अप्रैल को जनपद उधमसिंह नगर के किच्छा में साढे तीन साल की बच्ची की दुष्कर्म के उपरान्त हत्या, 14 अप्रैल को रूद्रपुर में एक व्यक्ति की हत्या, 14 अप्रैल को कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक संजीव आर्य पर धार दार हथियार से जानलेवा हमले की घटना का उल्लेख किया गया है।
कांग्रेस प्रतिनिधि मण्डल ने यह भी कहा कि 16 अप्रैल को हरिद्वार जनपद के भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत डांडा जलालपुर में धार्मिक आयोजन के अवसर पर पथराव की घटना ने राज्य में कानून व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में सत्ताधारी दल से जुडे संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य की कानून व्यवस्था को धता बताते हुए राज्य में भय का माहौल बनाया जा रहा है। प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण घटित घटना से लोगों में भय का माहौल व्याप्त है।
धार्मिक आयोजन की शोभा यात्रा के अवसर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा न तो कोई समय निर्धारित किया गया था और न ही रूट तय किया गया था। साथ ही शोभा यात्रा के दौरान किसी प्रकार की सुरक्षा के भी इंतजामात नहीं किये गये थे।
प्रतिनिधि मंडल का आरोप है कि घटना के उपरान्त घायलों को चिकित्सालय ले जाने वाली एम्बुलेंस की सुरक्षा बलों द्वारा चाबी निकाल कर 4 घंटे तक एम्बुलेंस रोक दी गई।
जिससे घायलों को चिकित्सालय पहुंचाने में कठिनाई हुई। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय प्रशासन द्वारा घटना की छानबीन में भी एकतरफा कार्रवाई की गई जिसकी निष्पक्ष जांच कराते हुए अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
साथ ही भविष्य में यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धार्मिक आयोजनों के अवसर पर अनुमति प्रदान करते समय इस बात का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए कि पुलिस प्रशासन मुस्तैदी के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे जिससे ऐसी घटनाओं की पुनर्रावृत्ति न हो।