गोपेश्वर। कांग्रेस हाईकमान द्वारा गढ़वाल की उपेक्षा को लेकर भडक़े कांग्रेसियों ने सामूहिक इस्तीफे दे दिए हैं। इसके चलते कांग्रेस की सियासत में विद्रोह का विगुल बज गया है।
हाईकमान द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष तथा उप नेता के चयन में गढ़वाल की उपेक्षा से भडक़े कांग्रेसियों ने हाईकमान के फैसले को धत्ता बता कर सामूहिक इस्तीफे दे दिए हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता विकास जुगराण, पीसीसी मेंबर अरविंद नेगी तथा युवा नेता मुकुल बिष्ट ने कांग्रेस कार्यालय में हुई बैठक के बाद हाईकमान को सामूहिक इस्तीफे देने की जानकारी पत्रकारों को दी। उन्होने बताया कि गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की उपेक्षा हाईकमान ने की है।
कहा कि बद्रीनाथ के विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी को नेता प्रतिपक्ष तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद मिलने की कार्यकर्ता जोरदार पैरवी कर रहे थे। मतदाताओं ने भी भंडारी की नेतृत्व क्षमता की परख करते हुए जीत दिलाई थी किंतु पूरे संसदीय क्षेत्र में एक सीट को सलामत रखने के बावजूद गढ़वाल की उपेक्षा कर दी गई। उन्होंने कहा कि हाईकमान को विरोध स्वरू प सामूहिक इस्तीफे सौंपने का निर्णय लिया गया। इसके चलते कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफे हाईकमान को भेज कर निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है।
कार्यकर्ताओं ने यह निर्णय कांग्रेस की मजबूती के निमित उठाया है। ऐसा नहीं किया गया तो कार्यकर्ता दूसरे दलों की ओर चले जाएंगे। इसलिए हाईकमान को तत्काल निर्णय बदलना चाहिए। बताया कि करीब 100 से अधिक कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफे हाईकमान को भेज दिए हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष तथा उप नेता के चयन में गढ़वाल की उपेक्षा से गुस्साए कांग्रेसियों ने हाईकमान को इस्तीफे भेज दिए हैं। कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष कुंवर ङ्क्षसह चौधरी, नगराध्यक्ष संतोष चौधरी, मधुसूदन चौधरी, प्रदेश सचिव सत्येंद्र नेगी, विधि प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष देवेंद्र बत्र्वाल, सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुवेदार मातवर नेगी, महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष प्रीति भंडारी, बीरेंद्र भंडारी, फतेराम सती, गोकुल लाल, दिगंबर बत्र्वाल, मंदोदरी पंत, जगमोहन बत्र्वाल, मयंक नेगी, पूरण नेगी, महिधर पंत, समुद्रा देवी समेत तमाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान द्वारा नेता प्रतिपक्ष, उपनेता तथा प्रदेश अध्यक्ष के सारे पद कुमाऊं मंडल को दिए गए है जबकि गढ़वाल की उपेक्षा की गई है। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है।
बद्रीनाथ के विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी को भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है जबकि वह गढ़वाल संसदीय सीट से एक मात्र कांग्रेस विधायक निर्वाचित हुए हैं। कहा कि इसी उपेक्षा के चलते उन्हें इस्तीफे देने को विवश होना पड़ा है। यह सब कांग्रेस की मजबूती के लिए उठाया गया कदम है।