गुटबाजी के आरोप से बिफरे प्रीतम, बोले विधायकी भी छोड़ दूंगा
वेणुगोपाल व देवेन्द्र यादव को लिया निशाने पर
- दी चुनौती साबित करें, उन्होंने गुटबाजी की
- प्रीतम की दोनों नेताओं से मानी जाती थी करीबी
देहरादून। नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाये जाने से नाराज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह खुद पर चुनाव में गुटबाजी को बढ़ावा देने के आरोपों से तिलमिला गए हैं। प्रीतम सिंह ने इस मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल व उत्तराखंड प्रभारी देवेन्द्र यादव को आड़े हाथ लिया है।
उन्होंने चुनौती दी है कि उन पर गुटबंदी के आरोप सिद्ध होते हैं तो वे विधायकी से भी इस्तीफा दे देंगे। अब तक प्रीतम सिंह की वेणुगोपाल व यादव के साथ दूसरे गुट की तुलना में ज्यादा करीबी मानी जाती थी, लेकिन चुनाव परिणामों से रिश्तों पर भी आंच आयी है।
एक चैनल के साथ बातचीत का उनका वीडियो तेजी से वायरल भी हुआ है। जिसमें वे हाईकमान से खुलकर अपनी नाराजगी का इजहार करते दिख रहे हैं। इस वीडियो में वे कह रहे हैं कि जब पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव ही ये कहते हैं कि उत्तराखंड में कांग्रेस की हार गुटबाजी के चलते हुई और उन पर ही गुटबाजी करने का आरोप लगाया गया है तो यह उनके लिए असहनीय है।
प्रीतम सिंह ने कहा कि वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं और गुटबंदी के आरोपों की जांच कराई जाए और अगर ये सही साबित हुआ तो वे विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे।
रविवार शाम को कांग्रेस आलाकमान द्वारा करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष और यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाने के बाद से रार शुरू हो गयी है। झगड़े का असली कारण यह था कि प्रीतम सिंह और उनका पूरा कैंप इस बात के लिए आश्वस्त था कि उन्हें सीएलपी जरूर बनाया जाएगा।
जबकि हाईकमान ने ऐसा न करके वरिष्ठ दलित नेता यशपाल आर्य को यह जिम्मेदारी दे दी है। इसके साथ ही सीएम पुष्कर सिंह धामी को हराने वाले भुवन कापड़ी को भी सदन में उपनेता बनाया है। हाई कमान की इस घोषणा के साथ ही सबसे पहले प्रीतम सिंह के कैंप से तल्ख प्रतिक्रिया आनी शुरू हुई।
उनके करीबियों की ओर से हाईकमान के फैसले पर सवाल उठाने का यह सिलसिला आज स्वयं प्रीतम सिंह की जुबान पर भी आ गया, जब उन्होंने वेणुगोपाल व देवेंद्र यादव को ही निशाने पर ले लिया। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की यह लड़ाई क्या रूप लेती है।